आगरा: ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां के तीन दिवसीय उर्स के अंतिम दिन सतरंगी चादर चढ़ाने के साथ समापन हो गया। उर्स के अंतिम दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पर्यटकों के लिए ताजमहल का दीदार निःशुल्क रहा। उर्स कमेटी के साथ-साथ पुरातत्व विभाग ने भी पूरी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर रखी थी। उर्स कमेटी की ओर से शाहजहां की मजार पर सतरंगी चादर चढ़ाई गई और सभी ने मिलकर और देश में अमन चैन की दुआ की।
चढ़ाई गई 1480 मीटर सतरंगी चादर
ताजमहल पर आज उर्स का आखिरी दिन था। दोपहर के बाद बज्म ए खुद्दाम कमेटी की ओर से सतरंगी चादर चढ़ाई गई। सतरंगी चादर को हिंदुस्तान की सतरंगी चादर भी कहा जाता है। दोपहर के बाद उर्स कमेटी के सभी लोग इस सतरंगी चादर को लेकर ताजमहल पहुंचे थे। इस बार ताजमहल पर 1480 मीटर की सतरंगी चादर चढ़ाई गई थी। सतरंगी चादर में सर्व समाज के लोगों ने भाग लिया।
दोपहर के बाद जैसे ही उर्स कमेटी के पदाधिकारी और आम लोग ताजमहल पहुंचे। सभी के हाथों में सतरंगी चादर नजर आ रही थी। 1480 मीटर सतरंगी चादर को ताजमहल के दक्षिणी गेट से चढ़ाना शुरू किया गया। शाहजहां और मुमताज की मुख्य कब्र तक पहुंचा कर चादर पोशी की गई। इस दौरान कमेटी के सदस्यों में अच्छा खासा जोश दिखाई दिया। शाहजहां की मजार पर चादर पोशी के दौरान देश मे अमन चैन की दुआ भी मांगी गई।
कमेटी के अध्यक्ष ताहिर उद्दीन ताहिर ने बताया कि हिंदुस्तानी सतरंगी चादर किसी मजहब की चादर नहीं है, यह सभी धर्मों की चादर है। यही नहीं यह देश की सबसे बड़ी चादर है। यह चादर दर्शाती है कि भारत के अंदर सभी धर्मों के लोग मिल जुल कर रहते हैं।
उर्स के तीसरे दिन पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ ताजमहल पर उमड़ी थी। उर्स के अंतिम दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पर्यटकों के लिए ताजमहल का दीदार पूरी तरह से निःशुल्क था। उर्स कमेटी के साथ-साथ पुरातत्व विभाग भी व्यवस्थाओं को संभालते हुए नजर आया। पुरातत्व विभाग की ओर से पर्यटकों की भीड़ संभालने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों को लगाया। वहीं सुरक्षा की दृष्टि से सीआईएसएफ और सिविल पुलिस ने भी कमान संभाली है।
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