आगरा: महंगाई की मार से जनता हुई बेहाल, आम आदमी की पहुंच से दूर हुए फल औऱ हरी सब्जियां

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आगरा: पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ना क्या शुरू हुए, महंगाई ने सभी को रुला कर रख दिया है। सबसे सस्ती तो हरी सब्जियां हुआ करती थी लेकिन वह भी अब मुंह चिढ़ाने लगी हैं। आलम यह है कि आम व्यक्ति सब्जी मंडी सब्जी खरीदने तो जाता है लेकिन हरी सब्जियों के दाम सुनकर आलू, प्याज और टमाटर को लेकर ही वापस आ जाता है। इस समय हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं।

पेट्रोल और डीजल ने आम व्यक्ति की पहले से ही कमर तोड़ दी है लेकिन महंगाई ने फिर भी पीछा नहीं छोड़ा। अब महंगाई की मार आम व्यक्ति की थाली पर पड़ रही है। थाली में अक्सर हरी सब्जियां देखने को मिलती थी लेकिन महंगाई के चलते अब यह सब्जी भी गायब होने लगी है। आम व्यक्ति अब आलू प्याज से ही गुजारा कर रहा है।

नीबू 200 तो भिंडी 100 रुपये किलो

हमारे संवाददाता ने सब्जी विक्रेता से जब नींबू के भाव पूछे तो पैरों तले जमीन खिसक गई। गर्मी में अक्सर नीबू सभी के लिए राहत बनता था लेकिन अब यह आम व्यक्ति की पहुंच से दूर हो चुका है। नीबू ₹200 किलो फुटकर में बिक रहा है। भिंडी, करेला और फली भी लोगों को मुंह चिढ़ा रही है, इसके भाव भी आसमान पर हैं। तीनों ही हरी सब्जियां ₹100 प्रति किलो के हिसाब से बिक रही हैं। टिंडे 120 रुपए किलो और कटहल भी तो ₹50 किलो के हिसाब से बिक रहा है।

थोक बाजार में ही महंगी है सब्जियां

फुटकर सब्जी व्यापारियों का कहना है कि थोक बाजार में ही सब्जियों के दाम आसमान पर हैं। दो पैसे कमाने के लिए हमें भी थोड़ा महंगा बेचना पड़ता है लेकिन महंगाई का कारण यह नहीं बल्कि पीछे से हरी सब्जियों की कमी होना है। हरी सब्जियां पर्याप्त मात्रा में नहीं आ रही जिसके चलते महंगाई हो रही है। व्यापारियों का यह भी कहना था कि सब्जियों का दूसरे देशों में निर्यात किया जा रहा है।

वहीँ सब्जी खरीद रहे उपभोक्ताओं ने बताया कि सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस समय तो ‘मजबूरी का नाम महात्मा गांधी’ वाली कहावत पर चलना पड़ रहा है। महंगाई ने कमर तोड़ दी है इसलिए बजट को मैनेज करते हुए घर खर्च चलाया जा रहा है। हरी सब्जियों से दूरी बनाई है और आलू, टमाटर, प्याज और ₹30 किलो तक की सब्जियों को ही प्राथमिकता दी जा रही है जिससे दो वक्त का खाना तो नसीब हो सके।