आगरा: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों को लेकर ओबीसी आरक्षण के बगैर तत्काल स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाने के आदेश के बाद समाजवादी पार्टी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजी लाल सुमन के नेतृत्व में सपा कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया, नारेबाजी की और फिर उसके बाद एडीएम प्रोटोकॉल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपकर उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त किए जाने की मांग उठाई।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार की लचर प्रणाली के चलते ही निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं हो पाया। इससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार पिछड़ा वर्ग विरोधी है।
निकाय चुनाव को बिना ओबीसी आरक्षण लागू किये कराए जाने के जैसे उच्च न्यायालय के आदेश आए, सपाइयों को भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका मिल गया। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता महासचिव रामजीलाल सुमन ने कहा कि योगी सरकार की लचर प्रणाली के चलते उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है। सरकार की ओर से ठोस पैरवी ही नहीं की गई। सरकार की ओर से कहा गया कि 2017 को आधार बना कर उसी की गणना के अनुसार ओबीसी को आरक्षित किया जा रहा है जबकि निकाय चुनाव को लेकर ट्रिपल टी फार्मूले पर कार्य करने के उच्च न्यायालय ने निर्देश जारी किए थे। यूपी सरकार के इस रवैया से नाराज होकर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने वर्तमान यूपी सरकार को ही बर्खास्त करने की मांग की है।
कोर्ट ने 87 पेज के फैसले से राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। अदालत ने निकाय चुनाव के लिए 5 दिसम्बर को सरकार के अंतरिम ड्राफ्ट आदेश को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को निकाय चुनावों को बिना ओबीसी आरक्षण के ही कराने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी।
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