आगरा। अपने खून-पसीने से फसलों को सींचता है फिर आपको अन्न, सब्जी, फल-फूल आदि देता है। साहब, उस किसानों को इतना मत रुलाओ कि वह टूट कर बिखर जाएं। कब तक भोलेपन को उसकी कमजोरी समझोगे। साहब बंद करो किसानों की समस्याओं की अनदेखी। उसका हित नहीं कर सकते तो अहित भी न होने दो।
यह कहना है किसान नेता श्याम सिंह चाहर, सोमवीर यादव, मुकेश पाठक, लाखन सिंह त्यागी, अंशुमान ठाकुर, उदयवीर सिंह, राकेश का, जो स्वयं किसान होने के साथ-साथ किसानों की आवाज को बुलन्द करने के लिए पसीना बहा रहे हैं। उनका कहना है कि हम सरकार के खिलाफ नहीं, शासन-प्रशासन का विरोध नहीं करते। हमें न्याय चाहिए, हमारा हक चाहिए, किसानों की समृद्धि का भरोसा नहीं, जमीन पर काम चाहिए। हम विकास के दुश्मन नहीं पक्षधर हैं, लेकिन हमारी जमीनों का मुआवजा सही और समय पर मिले। किसानों की सादगी और विनम्रता को उनकी कमजोरी न समझें, जब ये कुछ कर गुजरने की ठान लेते हैं तो अधिकारी की कुर्सी तो छोड़िए सत्ता भी हिलने लगती है।
उनका कहना है कि आगरा ही नहीं, प्रदेश और देश भर के किसानों के साथ भू-अधिग्रहण के नाम पर छलावा होता है भू-अधिग्रहण से पहले किसानों से तमाम वादे किए जाते हैं, लेकिन उन्हें बाद में पूरा नहीं किया जाता है। किसानों को उनकी जमीनों का वाजिब मुआवजा नहीं मिल रहा है। किसान लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
22 (शुक्रवार) जुलाई को गांव लडामदा में किसान पंचायत होगी, जिसमें आरबीएस कॉलेज के प्रकरण को लेकर रूपरेखा बनाई जाएगी। उसके बाद आंदोलन करने का बिगुल बजेगा। किसानों से जमीन ली गई थी, लेकिन इतने सालों में किसानों को मुआवजा नहीं मिला। किसानों को अपनी जमीन वापस चाहिए। इनर रिंग रोड, लैंडपार्सल आदि योजनाओं के मामले में भी किसानों को अभी तक न्याय नहीं मिला है। किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। न्याय व हक मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
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