एक्टर मनजोत सिंह ने शेयर किए करियर से जुड़े कुछ यादगार किस्से, बताया- फिल्मफेयर अवॉर्ड मिलने का यादगार किस्सा

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फिल्मफेयर अवॉर्ड मिलने का वो किस्सा

मनजोत सिंह की पहली फिल्म ‘ओए लकी लकी ओए’ रिलीज हो चुकी थी। फिल्म को अच्छा रिस्पांस मिला था। वह कहते हैं, ‘मैं घर पर बैठा आराम फरमा रहा था कि मेरे पापा ने बताया कि फिल्मफेयर से बुलावा आया है। मुझे फिल्मफेयर अवॉर्ड मिल रहा था। पहली बार पापा ने मेरे लिए फ्लाइट टिकट करवाए थे। मैं पहली बार हवाई जहाज में बैठ रहा था। बहुत एक्साइटेड था, मगर एक बात का अफसोस हो रहा था कि मुझे विंडो सीट नहीं मिली।

वह बताते हैं, ‘बहरहाल ठाट से मुंबई लैंड हुआ। सीधे मनु ऋषि सर (एक्टर) के घर पहुंचा। पापा ने उन्हें फोन कर दिया था कि वह मेरा ध्यान रखें। उस वक्त मैं महज 17 साल का था। ज्यादा समझ नहीं थी मुझे। रेस्ट करने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा, अवॉर्ड फंक्शन में क्या पहनोगे? मैंने कहा, जींस-टीशर्ट। वह बोले, ‘अवॉर्ड फंक्शन में तो कोट या सूट जैसा कुछ पहनना चाहिए।’ मैंने कहा- ‘मैं लाया नहीं, मेरे पास था भी नहीं।’ तो वह बोले, रुको।

दीपक डोबरियाल सर से उधार लिया कोट, लकी रहा

मनजोत सिंह ने आगे बताया, ‘फिर मनु ऋषि सर ने दीपक डोबरियाल को फोन घुमाया और उनसे कोट मांगा। दीपक मेरी तरह दुबले-पतले कद-काठी के हैं, तो उनका कोट मुझे फिट आ गया। उन्होंने कहा, ये कोट दीपक के लिए काफी लकी रहा था, मेरे लिए भी रहेगा। मैं अपनी टीशर्ट पर उस कोट को पहनकर गया और मैंने अपना अवॉर्ड लिया। वाकई वो मेरे लिए जिंदगी बदल देने वाला पल साबित हुआ। मेरी पहली फिल्म थी ‘ओए लकी लकी ओए’। उसमें मेरा सिर्फ 15 मिनट का रोल था और मुझे उस किरदार के लिए सम्मानित किया गया। मुझे याद है कि उस मौके पर मैंने एक स्पीच भी दी थी, जो काफी वायरल हुई थी। असल में वो स्पीच दिल से निकली थी, मेरी मम्मी की लिखी हुई थी। उसे बोलते-बोलते मैं फंबल भी कर गया था। मगर ये सच है कि मैं बहुत जज्बाती हो गया था।’

सरदार के कई किरदार नकार चुका हूं

इसमें कोई शक नहीं कि सरदार होने के बावजूद मनजोत सिंह ने अपनी मंजी हुई अदाकारी के बल पर कई फिल्मों में हीरो के साथ पैरलल रोल हासिल किए। वरना एक समय था, जब सरदारों को फिल्मों में ज्यादातर मजाक का पात्र बनाया जाता था। इस मुद्दे पर वह बोले- ‘मुझे याद है कि मैं बहुत खुश था, जब मुझे ‘ओए लकी लकी ओए’ का रोल मिला था।’

मां ने कहा था, एक्टिंग में जा रहा है लेकिन कौम का मजाक मत उड़ाना

‘मगर उस वक्त मेरी मम्मी ने मुझे बुलाकर सिर्फ एक बात कही थी, बेटा तू एक्टिंग के क्षेत्र में जा रहा है मगर याद रखना… कभी भी अपनी कौम का मजाक मत उड़ाना। असल में उनको भी एक बात खटकती थी कि सरदारों को आम तौर पर फिल्मों में फूहड़ ढंग से दिखाया जाता था, जबकि वह भी आम इंसान ही हैं। उनकी वेशभूषा के कारण उन्हें स्टीरियोटाइप कर दिया गया। मैंने मम्मी की वो बात गांठ बांध ली थी। मैंने अब तक फिल्मों में जितनी भूमिकाएं की हैं, उससे ज्यादा मैं मना कर चुका हूं, सिर्फ इसी कारण से कि मैं उस तरह की भूमिकाएं करके अपनी कौम को कमतर नहीं दिखाना चाहता।’

Compiled: up18 News