पद्मा सुब्रमण्यम की एक चिट्ठी और पीएम मोदी का आदेश, सेंगोल को खोजने में लगे 2 साल

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सेंगोल के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि अफसरों को सेंगोल ढूंढने का टास्क खुद पीएम मोदी ने दिया था. उन्होंने नए संसद भवन के निर्माण के दौरान इससे जुड़े सभी तथ्य, इतिहास पर रिसर्च करने के आदेश दिए थे. सेंगोल के बारे में उन्होंने जानकारी एक चिट्ठी से हुई थी. इस चिट्टी को बहुचर्चित डासंर पद्मा सुब्रह्मण्यमने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा था.

2 साल पहले हुई थी PMO को जानकारी

प्रधानमंत्री कार्यालय को सेंगोल के बारे में तकरीबन 2 साल पहले पता चला था. चर्चित डांसर पद्मा पद्मा सुब्रमण्यम ने PMO को लिखी चिट्ठी में इसका जिक्र किया था. द हिंदू की एक रिपोर्ट के हिसाब से पद्मा सुब्रमण्यम ने इस चिट्ठी में सेंगोल के महत्व के बारे में जानकारी दी थी. इसके लिए उन्होंने एक तमिल मैगजीन में प्रकाशित आर्टिकल का हवाला दिया था. इस आर्टिकल में इस बात का जिक्र था कि 14 अगस्त 1947 की रात को सत्ता हस्तांतरण के तौर पर जवाहर लाल नेहरू ने सेंगोल को स्वीकार किया था.

कौन हैं पद्मा सुब्रमण्यम

पद्मा सुब्रमण्यम भरतनाट्यम की प्रसिद्ध नृत्यांगना हैं, उनका जन्म 1943 में हुआ था. पिता प्रसिद्ध फिल्म निर्माता थे और मां संगीतकार. पद्मा सुब्रमण्यम ने अपने पिता के डांस स्कूल में महज 14 साल की उम्र में ही बच्चों को डांस सिखाना शुरू कर दिया था. उन्हें अब तक कई अवार्ड और पुरस्कार मिल चुके हैं, 1983 में वह संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीत चुकी हैं, इसके अलावा उन्हें 1981 और 2003 में क्रमश: पद्मश्री और पद्मभूषण पुरस्कार भी मिल चुके हैं. इसके अलावा सोवियत संघ की ओर से नेहरू पुरस्कार और एशिया में विकास और सद्भाव के लिए जापान के फुकुओका का एशियाई संस्कृति पुरस्कार मिला था.

मई 2021 में प्रकाशित हुआ था आर्टिकल

इस अमूल्य धरोहर के बारे में बताने वाला आर्टिकल मई 2021 में प्रकाशित हुआ था. एक रिपोर्ट के मुताबिक जब पद्मा सुब्रमण्यम ने इसे पढ़ा तो उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि इस धरोहर के बारे में सबको जानना चाहिए. इसके बाद ही उन्होंने PMO को चिट्टी लिखकर ये मांग की थी कि पीएम को इसके बारे में देशवासियों को बताना चाहिए.

सेंगोल कहां है, ये पता ही नहीं था

PMO ने चिट्ठी को बेहद गंभीरता से लिया, पीएम मोदी को इसकी जानकारी दी गई. खास तौर पर पीएम मोदी ने सेंगोल को ढूंढने का आदेश दिया. अफसरों की टीम ने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट की मदद से इसकी खोज शुरू कर दी, लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था. इसके बाद नेशनल अभिलेखागार में उस समय से अखबारों को ढूंढ गया. इससे पता चला कि सेंगोल को तमिलनाडु के वुम्मिडी बंगारू फैमिली ने बनाया था.

अफसरों की टीम ने जब बंगारु फैमिली से बात की तो उन्होंने बताया कि सेंगोल को उन्होंने ही बनाया था, लेकिन अब वो कहां है इसके बारे में पता नहीं. इसके बाद देश भर के अन्य म्यूजियम में भी इसके बारे में पता लगाने का आदेश दिया गया. सेंगोल कैसा दिखता है इसकी जानकारी भी बेहद कम लोगों के पास थी.

इलाहाबाद के आनंद भवन में मिला सेंगोल

आखिरकार सेंगोल नुमा एक छड़ी इलाहाबाद के आनंद भवन में मिल गई. किसी को पता नहीं था कि यही सेंगोल है. पत्र-पत्रिकाओं में भी इसकी फोटो नहीं थी. आखिरकार इस सेंगोल के चित्र को तमिलनाडु के उन्हीं बंगारु फैमिली के पास ले जाया गया जिन्होंने उस कलाकृति को पहचान लिया. उनके पास इसकी फोटो भी थी. दरअसल 1947 में वुम्मिडी एथुराजुलू और वुम्मिडी सुधाकर ने अन्य शिल्पकारों से साथ मिलकर बनाया था. अब ये दोनों भाई 28 मई को होने वाले कार्यक्रम का भी हिस्सा बनेंगे.

-compiled: up18 News