मध्यप्रदेश के बैतूल जिले से 42 किमी दूर चिचोली तहसील मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर की दूरी पर बसे मलाजपुर गांव में भूतों का मेला लगता है। प्रतिवर्ष मकर संक्रांति के बाद वाली पूर्णिमा को लगने वाला भूतों का यह मेला वसंत पंचमी तक चलता है। दूर-दूर से लोग यहां अपने परिजनों को प्रेतबाधा से मुक्त करवाने के लिए आते हैं।
गुरु साहब बाबा की समाधि
कहते हैं कि कि 1770 में गुरु साहब बाबा नाम के साधु यहां बैठककर अपनी शक्तियों से लोगों की हर तरह की समस्या और प्रेतबाधा को दूर करते थे। बाबा के पास चमत्कारिक शक्तियां थीं। वह भूत-प्रेतों को वश में कर लेते थे। गांव के सभी लोग उन्हें भगवान का रूप मानते थे। उन्होंने एक वृक्ष के नीचे जिंदा समाधि ले ली थी। गांव वालों ने यहां पास में ही एक मंदिर बनवा दिया और उनकी याद में हर वर्ष मेले का शुभारंभ करवा दिया। उनकी याद में गांव वाले भूतों के मेले में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। बाबा के जाने के बाद भी यहां प्रेतबाधा से पीड़ित व्यक्ति को छुटकारा मिलता है।
श्रीदेवजी संत (गुरु साहब बाबा) का जन्म विक्रम संवत 1727 फाल्गुन सुदी पूर्णिमा को कटकुही ग्राम में हुआ था। बाबा का बाल्यकाल से ही रहन-सहन, खाने-पीने का ढंग अजीबोगरीब था। बाल्यकाल से ही भगवान भक्ति में लीन श्री गुरु साहब बाबा ने मध्यप्रदेश के हरदा जिले के अंतर्गत ग्राम खिड़किया के संत जयंता बाबा से गुरुमंत्र की दीक्षा ग्रहण कर तीर्थाटन करते हुए अमृतसर में अपने ईष्टदेव की पूजा-आराधना में कुछ दिनों तक रहे इस स्थान पर गुरु साहब बाबा को ‘देवला बाबा’ के नाम से लोग जानते-पहचानते हैं तथा आज भी वहाँ पर उनकी याद में प्रतिवर्ष विशाल मेला लगता है।
कैसे मिलती है प्रेतबाधा से मुक्ति?
मलाजपुर गांव के देवजी महाराज मंदिर में लगने वाले भूतों के मेले में बुरी आत्माओं, भूत-प्रेतों और चुड़ैल से प्रभावित लोग एक पेड़ की परिक्रमा करते हैं और अपनी बाधाएं दूर करते हैं। यहां शाम की पूजा के बाद परिक्रमा करते हैं। मान्यता अनुसार जिसे कोई समस्या होती है वह विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है, जबकि दूसरे सीधी दिशा में ही परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा के दौरान कुछ लोग जिन पर भूत-प्रेत का साया होता है वह कपूर जलाकर अपने हाथ और जुबान पर रख लेते हैं।
मलाजपुर स्थित बंधारा नदी में कड़ाके की ठंड में नहाकर आने के बाद कई महिलाएं और पुरुष गुरु साहब बाबा की समाधि के चारों ओर चक्कर काटते समय बाबा से रहम की भीख मांगते हैं और वादा करते हैं कि अब इस व्यक्ति के शरीर में कभी प्रवेश नहीं करूंगा या करूंगी।
प्रेतबाधा से मुक्त होने के बाद चढ़ाते हैं गुड़
जब लोग प्रेतबाधा से मुक्त हो जाते हैं तब उन्हें गुड़ में तौला जाता है। यह गुड़ मंदिर में दान कर दिया जाता है। यहां हर साल सैकड़ों क्विंटल गुड़ इकट्टा हो जाता है। यहां काफी मात्रा में गुड़ जमा होने के बाद भी उसमें कीड़े, मक्खियां या चीटियां नहीं लगती हैं। लोग इसे भी एक चमत्कार मानते हैं।
-एजेंसियां