19 अक्तूबर 1950 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में मिशनरी ऑफ़ चैरिटीज की स्थापना करने वाली शख्सियत मदर टेरेसा को लेकर भारत रत्न और नोबल शांति से पुरस्कार भले ही मिल गया हो परंतु हाल ही में आई डॉक्यूमेंटरी ‘मदर टेरेसा: फॉर दि लव ऑफ गॉड’ ने उनके कृतित्व पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
मदर टेरेसा मिशनरी पर ये आरोप लग चुका है कि उसकी स्वास्थ्य सेवाएं सही नहीं थीं, वहां लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जाता था. उनपर जातिवाद से लेकर उपनिवेशवाद तक हर तरह के इल्जाम लगे।
यह डॉक्यूमेंट्री स्काई डॉक्यूमेंट्रीज पर 9 मई को प्रसारित की गई थी जिसमें मदर टेरेसा नाम के पीछे छुपे वो स्याह धब्बे भी नज़र आए जो उन्हें निर्विवाद हस्ती मानने से इंकार करते हैं।
कहने को तो मदर टेरेसा को एक दयालु और लोगों की मदद करने वाली समाजसेवी कहा जाता है, मगर उन पर केवल धार्मिक उद्देश्य से काम करने और भारत में समाजसेवा की आड़ में धर्म परिवर्तन कराने के भी आरोपों को आसानी से नहीं नकारा जा सकता। अब मदर टेरेसा पर आई इस डॉक्यूमेंट्रीमें उनके बारे में बेहद चौंकाने वाले दावे किए गए हैं।
मदर टेरेसा के नजदीकी लोगों से की है बात
मदर टेरेसा पर स्काई डॉक्यूमेंट्रीज की 3 पार्ट की नई सीरीज रिलीज की गई है जिसमका नाम ‘मदर टेरेसा: फॉर द लव ऑफ गॉड’ (Mother Teresa: For the Love of God) है। इस सीरीज में मदर टेरेसा के कुछ बेहद नजदीकी लोगों से बात की गई है जिन्होंने उनके साथ काम करते हुए बेहद बुरे अनुभवों का सामना किया है। मदर टेरेसा के कटु आलोचकों से बात करके इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए दुनियाभर में मशहूर इस संत की जिंदगी को नए सिरे से प्रयास किया गया है।
‘गरीबों के लिए कुछ नहीं किया, वेटिकन भेजती थीं पैसा’
डॉक्यूमेंट्री में मदर टेरेसा के साथ 20 साल तक काम कर चुकीं मैरी जॉनसन ने कहा, ‘मदर टेरेसा की आध्यात्मिकता क्रॉस पर लटके जीसस क्राइस्ट से जुड़ी हुई है। उन्हें लगता था कि दुनिया में गरीबी एक अच्छी है क्योंकि ईसा मसीह दुनिया के पहले गरीब थे। यह बेहद मूर्खतापूर्ण बात है।’ इस डॉक्यूमेंट्री में मदर टेरेसा पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने गरीबी दूर करने और लोगों की मदद करने से ज्यादा दुनियाभर से मिलने वाले फंड को सीधे वेटिकन सिटी के कैथलिक चर्च को ट्रांसफर किया था।
यौन दुराचारियों को बचाने का किया काम
मैरी जॉनसन का कहना है कि मदर टेरेसा अपने जीवन के आखिरी दशक में बुढ़ापे से जूझ रही थीं लेकिन तब भी वेटिकन सिटी ने उन्हें हर उस जगह भेजा जहां चर्च के पादरी बच्चों के यौन शोषण में संलिप्त पाए गए थे। ऐसा इसलिए किया गया ताकि चर्च में हो रहे घोटालों और दुराचार को दुनिया से छिपाया जा सके। मैरी ने कहा, ‘मदर टेरेसा कहानियों को पलटने में माहिर थीं।’
मदर टेरेसा बच्चों के यौन शोषण के बारे में कितना जानती थीं इस बारे में तो कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन इस डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि जब रेवेरंड डोनाल्ड मैकगायर पर बच्चों के यौन शोषण करने का शक किया गया तो उन्होंने अधिकारियों को लेटर लिखा और कहा कि वे इस बात को छिपा लें और उन पर भरोसा करें। इसके बाद रेवेरंड ने अगले एक दशक तक सैकड़ों बच्चों का शोषण करने की खुली छूट दे दी।
मदर टेरेसा का जन्म मेसिडोनिया में अगस्त 1910 में हुआ था। उनका परिवार अल्बेनिया मूल का था। 12 साल की उम्र में वह काफी धार्मिक हो गईं और 18 वर्ष की उम्र में वह पूरी तरह से आधात्यातिक होते हुए सिस्टर्स ऑफ लोरेटो से जुड़ गईं। बाद में वह नन बनने के लिए भारत आ गईं। 7 अक्टूबर 1950 को उन्होंने मिशनली ऑफ चैरिटी नाम की संस्था का गठन किया जो अब दुनियाभर में काम करती है। 5 सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का निधन हो गया।
-एजेंसी
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