रेल मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति ने बुजुर्गों को ट्रेनों में किराए में छूट तत्काल बहाल करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा है कि कम से कम स्लीपर व थर्ड एसी कोचों में तो इसे तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।
रेल मंत्रालय की स्थाई संसदीय समिति ने चार अगस्त को ये सिफारिशें सौंपी हैं। अपनी रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि बुजुर्गों को पहले रेल किराए में 40 से 50 फीसदी तक रियायत दी जाती थी, लेकिन कोविड महामारी के दौरान इसे बंद कर दिया गया।
उधर, रेल मंत्रालय ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए सभी श्रेणी के यात्रियों (दिव्यांगजनों की चार श्रेणियों और 11 श्रेणियों के रोगियों और छात्रों को छोड़कर) को किराए में रियायत वापस ले ली गई है। इस जवाब को देखते हुए समिति ने कहा कि चूंकि अब रेलवे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है, इसलिए यात्रियों की विभिन्न श्रेणियों को दी जाने वाली रियायतों पर पुनर्विचार करना चाहिए।
भाजपा नेता राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों या बुजुर्गों को किराए में रियायत की समीक्षा की जाए और कम से कम स्लीपर क्लास और थर्ड एसी कोच के किराए में तत्काल छूट बहाल की जाए ताकि कमजोर और जरूरतमंद वरिष्ठ नागरिक इस सुविधा का लाभ उठा सकें। वरिष्ठ नागरिकों को किराए में रियायतों से रेलवे पर सालाना करीब 2,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है।
‘गिव अप’ योजना का प्रचार करें
समिति ने रेल मंत्रालय से ‘गिव अप’ योजना का भी व्यापक प्रचार करने का आग्रह किया है। यह योजना वरिष्ठ नागरिकों को किराए में मिलने वाली रियायतों को स्वेच्छा से छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। बता दें कि ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों को किराए में छूट बहाली की लंबे समय से मांग की जा रही है। करीब तीन साल से यह छूट बंद है। लोगों का कहना है कि इस कारण गरीब व कमजोर वर्ग के लोगों को यात्रा के लिए आर्थिक परेशानी झेलना पड़ रही है।
-एजेंसी
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