नई दिल्ली। देश की दोनों संसद लोकसभा और राज्यसभा में कार्यवाही के दौरान सदस्य अगर चर्चा के समय जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनि, जयचंद, जैसे इस्तेमाल होने वाले शब्द अब असंसदीय करार दिए जाएंगे। ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जायेगा और वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे। लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हें असंसदीय अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखा गया है।
इस संकलन के अनुसार असंसदीय शब्द, वाक्य या अमर्यादित अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखे गए शब्दों में कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती, चिलम लेना, छोकरा, कोयला चोर, गोरू चोर, चरस पीते हैं, सांड जैसे शब्द शामिल हैं। अगर कोई सदस्य पीठ पर आक्षेप करते हुए यह कहते हैं कि ‘जब आप इस तरह से चिल्ला कर वेल में जाते थे, उस वक्त को याद करूं या आज जब आप कुर्सी पर बैठें हैं तो इस वक्त को याद करूं’ तब ऐसी अभिव्यक्त को असंसदीय मानते हुए इन्हें रिकार्ड का हिस्सा नहीं माना जायेगा ।
आपको बता दें कि ऐसे असंसदीय शब्दों को हटाने की भी एक प्रक्रिया होती है। इसे नियम 381 के तहत ऐसे शब्दों को कार्यवाही के रेकॉर्ड से हटा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को समझने से पहले हम असंसदीय शब्दों की लिस्ट पर एक नजर डालते हैं जिन्हें दोनों सदनों से बाहर का रास्ता दिखाया गया है।
असंसदीय शब्दों की पूरी लिस्ट
जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सासंद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू, कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती, चिलम लेना, छोकरा, कोयला चोर, गोरू चोर, चरस पीते सांड, बॉब कट हेयर, गरियाना, अंट-शंट, उच्चके, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, कांव-कांव करना, तलवे चाटना, तुर्रम खां, कई घाट का पानी पीना, ठेंगा दिखाना, आई विल कर्स, यू बिटेन विद शू, बिट्रेड, ब्लडशेड, चीटेड, शेडिंग, क्रोकोडाइल टियर्स, डंकी गून्स, माफिया, रबिश, स्नेक चार्मर, टाउट, ट्रेटर और विच डॉक्टर.
आपने लिस्ट पर तो नजर डाल ली होगी। अब आइए जानते हैं कि संसद से ऐसे शब्दों को हटाने का क्या प्रोसेस होता है। नियम क्या कहता है और आखिर वह कौन से नियम से इसे रेकॉर्ड से हटा देते हैं।
नियम क्या कहता है
नियम जानने के लिए हमें संविधान के आर्टिकल यानि अनुच्छेद 105(2) की चर्चा करना जरूरी हो जाता है। आर्टिकल 105 (2) का जिक्र करें तो उसमें यह साफ निर्देश है कि संसद के सदस्यों को इस तरह से आजादी नहीं है कि वह चर्चा के दौरान ऐसे शब्दों का प्रयोग करें। दोनों सदनों के अंदर सांसदों को अनुशासन बना के रखना बहुत जरूरी होता है।
लोकसभा में प्रोसीजिर कंडक्ट ऑफ बिजनेस नियम 380(EXCEPTION) के मुताबिक अगर अध्यक्ष को ऐसा लगता है कि कार्यवाही के दौरान सदस्यों की ओर से प्रयोग होने वाले शब्द असंवेदनशील, अमर्यादित, अपमानजनक या असंसदीय हैं तो वह उन्हें सदन की कार्यवाही से हटाने का आदेश दे सकता है।
लेकिन रेकॉर्ड से कैसे हटाते हैं
हमने यह तो जान लिया कि ऐसे असंसदीय शब्दों को हटाने का एक नियम है जिसके बाद इसे हटा देते हैं। इन सबके बीच अब यह जानना जरूरी है कि शकुनि, जयचंद जैसै असंसदीय शब्दों को रेकार्ड से कैसे हटाते हैं।
आइए यह भी समझ लीजिए
लोकसभा में कामकाज की प्रक्रिया एवं आचार के नियम 380 के मुताबिक, ‘अगर अध्यक्ष को लगता है कि चर्चा के दौरान अपमानजनक या असंसदीय या अभद्र या असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, तो वे सदन की कार्यवाही से उन्हें हटाने का आदेश दे सकते हैं।’
नियम 381 के अनुसार सदन की कार्यवाही का जो हिस्सा हटाना होता है, उसे चिन्हित करने के बाद कार्यवाही में एक नोट इस तरह से डाला जाएगा कि अध्यक्ष के आदेश के मुताबिक इसे हटाया गया
असंसदीय शब्द लिस्ट में कब आए
आपके जहन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि आखिर यह शब्द लिस्ट किए गए। लोकसभा ने सबसे पहले एक किताब को 1999 में तैयार किया गया जिसका नाम असंसदीय अभिव्यक्ति रखा गया था। साल 2004 के नए एडिशन में 900 पन्ने थे। इस सूची में कई शब्द और एक्सप्रशेन शामिल हैं जिन्हें असंसदीय माना गया है
-एजेंसी
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