वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे पर हैं। उन्होंने उत्तरभारत की सबसे बड़ी रसोई ‘अक्षयपात्र’ का उद्घाटन किया। इसके अलावा “अखिल भारतीय शिक्षा नीति समागम” कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम ने कहा, “हमारे देश में मेधा की कमी नहीं रही है, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसी शिक्षा नीति बना कर दी गई थी कि पढ़ाई का मतलब सिर्फ नौकरी ही माना जाने लगा था।”
पीएम ने कहा, “इस तरह की शिक्षा नीति गुलामी के काल में अंग्रेजों ने अपने लिए एक सेवक वर्ग तैयार करने के लिए बनाई थी। शिक्षा को 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है, केवल डिग्रीधारक युवा तैयार न करें।”
यह कार्यक्रम रुद्राक्ष कंवेंशन सेंटर में तीन दिन तक चलेगा। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर चर्चा होगी। देशभर के शिक्षाविद् इस कार्यक्रम में पहुंचे हैं।
पीएम डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम पहुंच गए हैं। यहां वह 553.75 करोड़ की 30 परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे। 1220.58 करोड़ की 13 परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।
पीएम ने कहा कि नई शिक्षा नीति देश को नई दिशा देगी। शिक्षा और शोध पर मंथन जरूरी है। नई पीढ़ी पर बड़ी जिम्मेदारी है। हमें उनके मन और उनकी आकांक्षाओं को समझना होगा।
“देश को आगे बढ़ाने के लिए हम हर तरह के मानव संसाधन उपलब्ध कराएं। हमारे शिक्षक जितनी तेजी से इस भावना को आत्मसात करेंगे देश को उतना ही ज्यादा लाभ होगा।”
जिन लक्ष्यों को पाने की देश कल्पना भी नहीं करता था, आज के भारत में वह सब संभव है। कोरोना जैसी महामारी से हम कितनी तेजी के साथ उबरे। यह पूरे विश्व ने देखा।
“नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए देश के एजुकेशन सेक्टर में एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काम हुआ है। आज देश में बड़ी संख्या में नए कॉलेज खुल रहे हैं।”
“आने वाले समय में भारत दुनिया के देशों में एजुकेशन के लिए एक बड़ा सेक्टर बन सकता है। हमने हर पल इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जिंदा रखा है।”
“हम भावनाओं के आधार पर दुनिया नहीं बदल सकते। परिणाम के बावजूद आज प्रमाण की आवश्यकता इस दुनिया को है।”
“दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा आज हमारा देश युवा है। कल हमारा देश भी बुजुर्ग होगा। इस पर यूनिवर्सिटी में अध्ययन होना चाहिए।”
“स्पेस टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में जहां पहले केवल सरकार ही सब करती थी। वहां अब प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए युवाओं के लिए नई दुनिया बन रही है।”
“राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल आधार, शिक्षा को संकुचित सोच के दायरों से बाहर निकालना और उसे 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना है।”
“हम केवल डिग्री धारक युवा तैयार न करें, बल्कि देश को आगे बढ़ने के लिए जितने भी मानव संसाधनों की जरूरत हो, हमारी शिक्षा व्यवस्था वो देश को दे।”
काशी को मोक्ष की नगरी इसलिए कहते हैं क्योंकि हमारे यहां मुक्ति का एकमात्र रास्ता ज्ञान को ही माना जाता है।
बुनकर परिवार की बेटियों ने बनाया अंगवस्त्रम
PM के लिए बुनकर परिवार की बेटियां तरन्नुम, रहनुमा, शहाना और नगमा ने अंगवस्त्रम तैयार किया है। केसरिया रंग के बनारसी कपड़े पर जरदोजी से शब्द और कलाकृति उकेरी गई हैं।
इस दौरे को यादगार बनाने के लिए PM को डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम का नया मॉडल बतौर स्मृति चिह्न दिया जाएगा। कसेरा समाज ने पंच धातु की 15 इंच की सरस्वती की प्रतिमा भी PM को देने के लिए तैयार की है।
– एजेंसी
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