यूपी बोर्ड कह रहा है कि जिन स्कूलों से अंक प्राप्त हुए थे हमने मार्कशीट में उन्हें अंक दे दिए हैं। जिन्होंने नंबर नहीं भेजे थे उनको केवल प्रमोट किया गया है। जबकि स्कूल संचालकों का कहना है कि उन्होंने बोर्ड को अंक भेजे थे। जब स्कूल वालों ने अंक भेजें और बोर्ड को नहीं मिले तो आखिर अंक गए कहां ?
यह एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। छात्र छात्राएं जानना चाहते हैं कि उनको अंक किसने नहीं दिए ? कौन है दोषी ? इसी को लेकर आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस के मार्गदर्शन में 80 छात्र छात्राओं ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद को आरटीआई की अर्जी रजिस्ट्री पोस्ट से भेज कर अंक मांगे हैं। इससे पहले लगभग चार दर्जन छात्र-छात्राएं डीआईओएस कार्यालय में भी आरटीआई लगा चुके हैं।
कोरोना महामारी के चलते यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल की परीक्षाएं नहीं कराई थीं। अधिकांश बच्चों को नंबर दे दिए गए थे लेकिन कुछ बच्चों को केवल प्रमोटेड लिखकर कोरी मार्कशीट थमा दी गईं। कोरी मार्कशीट बच्चों के किसी काम की नहीं हैं। ऐसे में बच्चों ने स्कूलों से संपर्क किया तो उन्हें केवल दिलासा देते रहें। जब समय ज्यादा बीत गया तो बच्चों का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने अपने अंक लेने के लिए आंदोलन छेड़ दिया। बच्चे चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। बच्चे जानना चाहते हैं की उन्हें अंक क्यों नहीं दिए गए ? दोषी कौन है ? इन्हीं सवालों के जवाब के लिए उन्होंने माध्यमिक शिक्षा परिषद में आरटीआई दायर करके पूछा है कि हमारे विद्यालय ने आपको कितने अंक भेजे ? बोर्ड ने कितने अंक दर्ज किए ? इन्हीं सवालों को लेकर छात्र-छात्राएं बोर्ड से जवाब मांग रहे हैं।
बच्चे स्कूल और बोर्ड के बीच फुटबॉल बने हुए हैं। बच्चों का कहना है कि हमें किस कसूर सजा मिल रही है ? उन्होंने आंदोलन की धार तेज कर दी है। उन्होंने कहा की अंक न मिलने तक चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री आवास लखनऊ तथा बोर्ड कार्यालय प्रयागराज में भी प्रदर्शन करना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे।
-up18news
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