अमेरिका के पूर्वी कैलिफोर्निया में एक रेगिस्तान है। इसी रेगिस्तान में एक घाटी है जिसे डेथ वैली यानि मौत की घाटी कहते हैं। यह नाम इसे इसलिए मिला है क्योंकि यह दुनिया की सबसे गर्म जगह है। यहां नॉर्मल टेम्प्रेचर भी 50 डिग्री से ऊपर रहता है। साल 1913 में यहां का तापमान 56.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। ये इलाका ऐसा है जहां इंसान का रह पाना नामुमकिन है। समुद्रतल से 190 फीट नीचे स्थित इसे घाटी को लंबे समय से ‘डेथ वैली’ बुलाया जाता रहा है।
दो मिनट रुक पाना मुश्किल
अगर कोई 56.7 डिग्री तापमान के बावजूद यहां आने की सोचे तो एक और आंकड़ा उसके कदम रोक लेगा। यहां जमीन पर तापमान और ज्यादा रहता है। 15 जुलाई 1972 को यहां की जमीन का तापमान 89 डिग्री सेल्सियस पाया गया था यानी पानी उबलने के तापमान से सिर्फ 11 डिग्री कम। यह घाटी लंबी मगर संकरी है मगर ऊंचे पहाड़ों से घिरी है। रात में भी यहां का तापमान 28 से 37 डिग्री के बीच रहता है।
इतनी गर्म क्यों है डेथ वैली?
डेथ वैली के इतना ज्यादा गर्म होने की बहुत सारी वजहें हैं। यहां बारिश बहुत कम होती है, सर्दी ना के बराबर पड़ती है। प्रशांत महासागर से उठी हवा जबतक यहां पहुंचती है, उसकी सारी नमी सोख ली जा चुकी होती है, इसलिए यहां सिर्फ गर्म हवाएं ही पहुंचती हैं। घाटी का सरफेस ऐसा है जो सूरज की रोशनी में धधक उठता है। समुद्रतल से ज्यादा नीचे जाने पर हवा कम्प्रेस होकर गर्म हो जाती है और यह घाटी अच्छी-खासी नीचे है, वह भी गर्मी में एक अहम फैक्टर है।
लीबिया का दावा निकला था झूठा
लीबिया के अल अजीजिया के नाम 90 साल तक सबसे ज्यादा तापमान वाली जगह का रेकॉर्ड था। गिनेज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स के अनुसार यहां 58 डिग्री तापमान का दावा था। हालांकि 2012 में वर्ल्ड मीटरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन ने इस दावे को गलत पाया जिसके बाद डेथ वैली दुनिया की सबसे गर्म जगह बन गई।
-एजेंसियां
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