इंडियन प्रीमियर लीग में विवाद के बाद भारतीय क्रिकेट काफी मुश्किल से गुजर रहा था। ऐसे वक्त पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक विनोद राय को भारतीय क्रिकेट को संभालने की जिम्मेदारी दी थी। इस दौरान भारतीय क्रिकेट में एक और विवाद भी चल रहा था। तब के कप्तान विराट कोहली और कोच अनिल कुंबले के बीच रिश्तों में मतभेद की खबरें भी बहुत सामने आई हैं। उन्होंने इस बात से भी इंकार नहीं किया कि इस मामले को अलग तरीके से भी संभाला जा सकता था।
अपनी किताब नॉट जस्ट ए नाइटवॉचमैन- माय इनिंग्स इन द बीसीसीआई, में पूर्व आईएस अधिकारी ने भारतीय क्रिकेट के इस विवाद पर खुलकर लिखा है। उन्होंने लिखा कि यह सब उन पर अचानक किसी ही पता चला। साल 2017 में राय को क्रिकेट ऑफ एडमिनिनस्ट्रेटर (सीओए) बनाया गया था। इसी कमेटी ने तीन साल तक भारतीय क्रिकेट को चलाया था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस में राय की किताब के हवाले से दावा किया गया है कि कोहली और कुंबले विवाद पर राय ने दावा किया है कि कप्तान और कोच का रिश्ता किसी भी लिहाज से स्वस्थ नहीं कहा जा सकता।
राय ने अपनी किताब में लिखा, ‘कप्तान और टीम प्रबंधन के साथ मेरी बातचीत में मुझे यह पता चला कि कुंबले बहुत ज्यादा अनुशासक थे और इसी वजह से टीम सदस्य उनसे बहुत ज्यादा खुश नहीं थे। मैंने विराट कोहली से इस बारे में बात की थी और उन्होंने यह भी जिक्र किया था कि जिस तरह से कुंबले जिस तरह टीम के युवा सदस्यों के साथ काम करते थे उससे वे काफी धमकाए हुए रहते थे।’
राय ने कहा कि दूसरी ओर कुंबले ने CoA को बताया था कि वह टीम की भलाई के लिए ही काम करते हैं। और मुख्य कोच के तौर पर उनके रिकॉर्ड को ज्यादा महत्ता दी जानी चाहिए न कि खिलाड़ियों की कथित शिकायतों पर गौर करना चाहिए।
राय ने लिखा, ‘जब वह यूके से लौटकर आए तो हमने अनिल कुंबले से लंबी बातचीत की। जिस तरह से पूरी घटना सामने आई उससे वह जाहिर तौर पर काफी निराश थे। उन्हें लगता था कि उनके साथ गलत व्यवहार किया गया और एक कप्तान और टीम को इतनी महत्ता नहीं दी जानी चाहिए। कोच का यह कर्त्तव्य है कि कि टीम में अनुशासन और प्रफेशनलिज्म लेकर आए और एक सीनियर होने के नाते खिलाड़ियों को उनकी राय का सम्मान करना चाहिए।’
इस किताब में दावा किया गया है कि अनिल कुंबले इस मुद्दे को अपने हाथों में लेते हुए पद से हटने का फैसला किया। राय की नजर में यह पूरी तरह से अप्रत्याशित था।
इस किताब में लिखा है कि बीसीसीआई की क्रिकेट अडवाइजरी कमेटी जिसमें सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण- शामिल थे, ने जून 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान विराट कोहली और अनिल कुंबले से बात की थी। इस पैनल को नए कोच को लेकर काफी विचार-मंथन करना था।
किताब के मुताबिक सीईओ जोहरी और कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कप्तान और कोच से बात की। राय ने लिखा है, ‘उन्हें लगा कि मतभेद बहुत गहरे हैं और सिर्फ सीएसी ही दोनों से इस बारे में लंबी बातचीत के करने के लिए सबसे उचित रहेगी। इसके बाद सीएसी लंदन में मिली और दोनों से अलग-अलग बात की। उनकी कोशिश की थी मामले को सुलझाया जा सके। तीन दिन तक लगातार चली बातचीत के बाद उन्होंने अनिल कुंबले को दोबारा टीम का कोच बनाने की सिफारिश करने का फैसला कर लिया।’
लेकिन तब कुंबले ने मामले को अपने हाथ में लिया और पद से इस्तीफा दे दिया। विनोद राय के शब्दों में ऐसा होना बिलकुल अप्रत्याशित था। अपने त्यागपत्र में अनिल कुंबले ने लिखा- ‘बीसीसीआई ने मुझे बताया कि कप्तान को मेरे ‘स्टाइल’ और मुख्य कोच बने रहने पर कुछ आपत्तियां हैं। मुझे इस बात की हैरानी है क्योंकि मैंने हमेशा कप्तान और कोच की सीमाओं का सम्मान किया है।’
ऐसी भी खबरें थीं कि कोहली रवि शास्त्री को मुख्य कोच के तौर पर वापसी करवाना चाहते थे। यह पूरी तस्वीर इस तरह सामने आई कि एक खिलाड़ी की ताकत नियंत्रण से बाहर हो गई है। दरअसल, जब बीसीसीआई ने मुख्य कोच के लिए आवेदन मंगवाए तो रवि शास्त्री आवदेकों में शामिल भी नहीं थे लेकिन तब आवदेन जमा करने की आखिरी तारीख बढ़ाई गई। राय के शब्दों में, ‘कुछ संभावित और हकदार उम्मीदवारों ने शायद कुंबले के दौड़ में बने रहने पर शायद आवेदन नहीं किया हो।’
-एजेंसियां
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