आगरा: पोषण पखवाड़े में बच्चों की सेहत की होगी निगरानी, आंगनवाड़ी केंद्रों पर आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रम

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आगरा: पोषण के प्रति लोगों को जागरुक करने और सुपोषित बनाने के लिए जनपद में पोषण पखवाड़ा चलाया जा रहा है। 21 मार्च से शुरू हुआ पोषण पखवाड़ा चार अप्रैल तक चलेगा | इस दौरान आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से जनपद में विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अभियान के शुरूआती चरण में बच्चों का वजन व लंबाई मापकर स्वस्थ बच्चों की पहचान की जा रही है.

जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) साहब यादव ने बताया कि जनपद में पोषण सेवाओं की जानकारी व मांग बढ़ाने के लिए पोषण पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत आंगनवाड़ी केंद्रों पर छह साल तक के बच्चों की वृद्धि निगरानी की जा रही है, उनका वजन और लंबाई मापी जा रही है। इसके साथ ही लैंगिक संवेदनशीलता एवं जल प्रबंधन, जल संरक्षण में महिलाओं की भूमिका, वर्षा जल संचयन में समुदाय की सहभागिता, वर्षा जल संचयी संरचना का निर्माण करने के लिए भी लोगों को जागरुक किया जा रहा है। इसके साथ ही गर्भवती, धात्री माताओं और किशोरियों व बालिकाओं में एनीमिया की रोकथाम के लिए भी विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसके लिए स्कूली बच्चों को एनीमिया की रोकथाम और प्रबंधन के लिए आयुष की महत्ता बताई जा रही है।

डीपीओ ने बताया कि पखवाड़े के अंतर्गत महिलाओं और बच्चों को पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देने के बारे में जागरुक किया जा रहा है। इसके लिए विभिन्न व्यंजन प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं।

डीपीओ ने बताया कि जब एक युवती गर्भ धारण करती है, उसी समय से ही उसे उचित पोषण मिलना चाहिए। जब यहाँ से शुरुआत होगी तो पूरा जीवन चक्र सुपोषित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी और स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पोषण संबधी व सरकार की अन्य योजनाओं की जानकारी भी जन जन तक पहुंचा रही हैं।

बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) आरएस यादव ने बताया कि पखवाड़े में 21 से 27 मार्च तक बच्चों का वजन/लंबाई लेना व् नए लाभार्थियों का रजिस्ट्रेशन, 28 मार्च से 04 अप्रैल तक संवेदनशीलता, एनीमिया पहचान, जल प्रबंधन, पारंपरिक भोजन को बढ़ावा इत्यादि के कार्यक्रम संपन्न कराए जाएंगे.

सीडीपीओ ने बताया कि पोषण पखवाड़े के प्रथम सप्ताह में स्वस्थ बालक की पहचान की जाएगी और जन्मतिथि के अनुसार शून्य से छह वर्ष के बच्चों की लंबाई और ऊंचाई निकालकर स्वस्थ बालक की पहचान करनी है। दूसरे सप्ताह में लैंगिक संवेदनशीलता, जल प्रबंधन, एनीमिया प्रबंधन, रोकथाम तथा विशेष रूप से जनजातीय क्षेत्रों में महिलाओं व बच्चों के लिए पारंपरिक भोजन को बढ़ावा देने के लिए जन जागरूकता संबंधी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

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