बस्ती। कथावाचक की पिटाई का मुद्दा उठाकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बीजेपी के निशाने पर आ गए। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आरोप लगाया कि वे एक कथा के लिए 50 लाख रुपये लेते हैं। बीजेपी अब अखिलेश यादव को सनातन विरोधी बता रही है।
बीजेपी के नेता इसी बहाने उन्हें मुस्लिम समर्थक प्रचारित करने में लगे हैं। ऐसे में बीजेपी के एक बाहुबली नेता व पूर्व सांसद उनके समर्थन में आ गए हैं। अब पार्टी में सब हैरान हैं, आखिर इसके पीछे क्या राजनीति है? बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने तो अखिलेश को सच्चा हिंदू बताया है। बता दें कि बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण के एक बेटा सांसद और दूसरा बेटा विधायक हैं।
राजनीतिक गलियारों पर चर्चा तेज, कहीं चलने वाले तो नहीं हैं बड़ी चाल?
बस्ती जिले में एक स्वागत समारोह में बृजभूषण सिंह के एक बयान ने राजनीतिक पंडितों को सकते में डाल दिया है। इसके साथ ही कयासों का बाजार गर्म हो गया है कि क्या बृजभूषण सिंह अपनी राजनीतिक राह बदलने की कोई बड़ी चाल चलने वाले हैं?
बृजभूषण शरण सिंह ने अपने बयान में न केवल अखिलेश यादव को सीधे तौर पर भगवान कृष्ण का वंशज बताया, बल्कि उनके द्वारा बनवाए गए एक मंदिर की भी खुलकर प्रशंसा की।
अखिलेश यादव को बताया कृष्ण का वंशज
बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव कृष्ण के वंशज हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अखिलेश यादव ने बहुत बढ़िया मंदिर बनवाया है। बृजभूषण शरण सिंह का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में धार्मिक और आध्यात्मिक मुद्दे, विशेष रूप से मंदिर निर्माण और उससे जुड़ी राजनीति, चर्चा का केंद्र बनी हुई है। उनके मुख से सपा के सबसे बड़े चेहरे के लिए ऐसी धार्मिक और सकारात्मक टिप्पणी सुनना, निश्चित तौर पर राजनीतिक गलियारों में बड़े सवाल खड़े कर रहा है।
यह दर्शाता है कि बृजभूषण सिंह, जो खुद भी धार्मिक आयोजनों में सक्रिय रहते हैं, अखिलेश के इस पहलू को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर रहे हैं, जो आम तौर पर विरोधी दलों के नेताओं के बीच कम ही देखने को मिलता है। बृजभूषण शरण सिंह के इस बयान के कई गहरे राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं, खासकर तब जब अगामी विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं।
अखिलेश के बचाव में कही ये बात
हाल ही में अखिलेश यादव ने कुछ कथा वाचकों और उनके आयोजनों को लेकर एक बयान दिया था, जिस पर बीजेपी समेत कई दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी, लेकिन बृजभूषण शरण सिंह ने उस बयान को भी एक अलग नजरिए से देखा और अखिलेश का बचाव करते हुए उसे ‘राजनैतिक मजबूरी’ करार दिया।
बृजभूषण ने कहा कि अखिलेश की कोई राजनैतिक मजबूरी रही होगी, जो उन्होंने कथा वाचकों पर बयान दे दिया। यह टिप्पणी दर्शाती है कि बृजभूषण शरण सिंह अखिलेश यादव के प्रति किसी भी तरह की व्यक्तिगत दुर्भावना नहीं रखते, बल्कि उनके बयानों को भी एक व्यापक राजनैतिक संदर्भ में देख रहे हैं। यह सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी नहीं थी, बल्कि एक ऐसा स्पष्ट संकेत था जो अखिलेश के प्रति बृजभूषण की सोच में बदलाव को उजागर करता है।
उनका यह बयान बीजेपी के उन नेताओं से बिल्कुल अलग था, जो अखिलेश के बयान की कड़ी निंदा कर रहे थे। इस बचाव ने राजनीतिक विश्लेषकों को हैरान कर दिया है कि आखिर किस आधार पर बृजभूषण सिंह ने अपने ही दल के रुख से हटकर अखिलेश का पक्ष लिया।
बृजभूषण शरण सिंह के इन बयानों ने यूपी की राजनीति में एक नई और ज्वलंत बहस छेड़ दी है। बृजभूषण शरण सिंह का गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और आसपास के जिलों में अपना एक मजबूत जनाधार है। खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के में जहां उनकी राजपूत बिरादरी और समर्थक वर्ग का खासा प्रभाव है। उनके इस ‘अखिलेश प्रेम’ को देखकर हर कोई यह सवाल उठा रहा है कि क्या वह बीजेपी से दूरी बनाकर समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले हैं?
बृजभूषण शरण सिंह की राजनीतिक यात्रा हमेशा से अप्रत्याशित रही है। वह पहले भी अलग-अलग राजनीतिक दलों में रह चुके हैं। चाहे वह बीजेपी हो या समाजवादी पार्टी और अपनी स्वतंत्र व बेबाक राय रखने के लिए जाने जाते हैं। उनका ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि वह सिर्फ एक पार्टी के वफादार सिपाही नहीं, बल्कि अपने राजनीतिक हितों और परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने वाले नेता हैं। ऐसे में उनका यह ताजा बयान सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी नहीं मानी जा रही है, बल्कि इसके पीछे गहरे राजनीतिक मायने देखे जा रहे हैं। साल 2027 में यूपी में विधानसभा के चुनाव हैं तो क्या उससे पहले बृजभूषण शरण सिंह पाला बदलने के लिए माहौल बना रहे हैं।
-साभार सहित