स्त्री 2 समीक्षा: बिना किसी सुपरस्टार के कम बजट में अच्छी फ़िल्म कैसे बनाई जाती है इसका सटीक उदाहरण है ये फ़िल्म

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बिना किसी सुपरस्टार के कम बजट में अच्छी फ़िल्म कैसे बनाई जाती है इसका उदाहरण है ये फ़िल्म! बिना कहानी के 200-300 करोड़ एक फ़िल्म में लगाने वाले लोगों को सीख है ये फ़िल्म! उन्हीं कलाकारों के साथ किसी भी मूल कहानी का उससे भी बेहतर सीक्वल बनाना आसान नहीं होता लेकिन लेखक और निर्देशक अच्छा हो तो ये सम्भव है। स्त्री 2 ने ये सम्भव कर दिखाया।

स्त्री 2 की कहानी वहीं शुरू होती है जहाँ पहली खत्म हुई थी। पहले 5 मिनट रिकैप जैसा चलता है। तीन दोस्तों में से एक दोस्त की गर्लफ्रैंड को एक सरकटी लाश जैसा शख्स उठा ले जाता है। दोस्त उसे खोजने जाते हैं तो विक्की (राजकुमार राव) को फिर से रहस्यमयी स्त्री (श्रद्धा कपूर) मिलती है जो उसे सरकटे शख्स के बारे में बताती है। सरकटे से निपटने के लिए तीनों दोस्त के साथ पंकज त्रिपाठी और स्त्री मिलकर योजना बनाते हैं। आगे पता चलता है कि डरावने सरकटे शख्स ने कई लड़कियों को अपने गिरफ्त में ले रखा है। इसी से कैसे निपटना है और वो क्यों ऐसा कर रहा है, यही साधारण सी कहानी है जिसे निर्देशक ने हॉरर और कॉमेडी के कॉकटेल में दिखाया है।

फ़िल्म की कहानी साधारण है लेकिन स्क्रिप्ट बहुत अच्छी है। कहानी में कहीं कोई झोल नहीं है। फ़िल्म फ़ालतू बात नहीं करती जल्दी ही मुख्य विषय पर आ जाती है। पहले पार्ट की तुलना में कॉमेडी थोड़ी कम है लेकिन इस बार हॉरर जबरदस्त है। गीत संगीत अच्छा है। पिछली बार की तरह इस बार भी एक आइटम गीत ‘आज की रात’ ब्लॉकबस्टर हो चुका है। कॉमेडी किंग अक्षय कुमार का शानदार कैमियो भी है जो फ़िल्म को ऊँचाई देता है।

निर्देशक अमर कौशिक ने भारतीय जनता के स्वाद को अच्छी तरह समझ लिया है। उन्होंने कॉमेडी के साथ हॉरर का इस बार अच्छा डोज दिया है। वीएफएक्स की मदद से कहानी को बेहतरीन ढंग से दिखा पाएं हैं। मैडोक फ़िल्मस ने स्त्री को एक यूनिवर्स बना दिया है जो बेहतरीन लेखन का कमाल है जिसमें भेड़िया, मुंज्या के बाद अब स्त्री 2 को बेहतरीन ढंग से जोड़ा है। आगे भी ये यूनिवर्स और बड़ा होगा इसकी झलक इसमें दिखाई है।

अभिनय में राजकुमार राव लाजवाब है लेकिन श्रद्धा कपूर ने अपने रहस्यमयी चरित्र को जो अद्भुत रंग दिया है वो एकदम कमाल है। सदाबहार पंकज त्रिपाठी हंसाते हैं और अभिषेक बैनर्जी का काम भी अच्छा है। अपारशक्ति खुराना की डायलॉग डिलेवरी उनके बड़े भाई आयुष्मान की याद दिलाती है। एक गाने में पंकज की शमा (तमन्ना) आती हैं और फ़िल्म को गति प्रदान करती हैं।

निर्माता दिनेश विजन (मैडोक फिल्म्स) पिछले कई साल से लगातार अच्छी फिल्में बना रहे हैं। उनके हाथ कम बजट में अच्छी फिल्म बनाने का फॉर्मूला लग गया है। स्त्री 2 उसी कड़ी में और आगे जाती है। 35-40 करोड़ में बनी ये फ़िल्म 200-250 करोड़ आसानी से कमा लेगी।

हॉरर-कॉमेडी जॉनर में भूल भूलैया (2007) के बाद स्त्री सीरीज बॉलीवुड में अच्छी शुरुआत है। फ़िल्म देखने लायक है। पूरा परिवार फ़िल्म देख सकता।

लेखक – ब्रजेश यादव जी


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