मिडिल ऐज में ज्यादा तनाव महिलाओं को बना सकता है अल्जाइमर या डिमेंशिया का मरीज

Health

स्ट्रेस के कारण स्वास्थ्य पर कितना नकारात्मक असर पड़ता है इस बारे में शायद सभी जानते हैं लेकिन एक नई स्टडी के मुताबिक मिडिल ऐज यानी 45 से 65 की उम्र के बीच में बहुत ज्यादा तनाव महिलाओं को अल्जाइमर या डिमेंशिया का मरीज बना सकता है।

यूएस में हुई रिसर्च के मुताबिक स्ट्रेस के कारण भूलने की बीमारी का खतरा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में काफी ज्यादा पाया गया।

जॉन हॉपकिन्स मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने साल 1982 से लेकर 2004 तक इस रिसर्च के लिए 47 साल के 337 पुरुष व 572 महिलाओं को कई तरह के चेक-अप और इंटरव्यू से गुजारा। फाइनल चेकअप में प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या उन्होंने पिछले साल किसी बेहद तनावपूर्ण स्थिति का सामना किया? इसके जवाबों को रेकॉर्ड में शामिल किया गया।

इसके साथ ही पार्टिसिपेंट्स के तीसरी और चौथी विजिट के दौरान सीखने व चीजों को याद रखने संबंधी टेस्ट भी लिए गए। इस दौरान यह नोट किया गया कि क्या तनाव की स्थिति से गुजरने के बाद उनकी याददाश्त पर कोई असर हुआ।

रिसर्च में सामने आया कि ऐसी महिलाएं जिन्होंने एक साल में किसी भी तरह के तनाव को झेला उन्होंने मेमरी टेस्ट में पहले के मुकाबले बुरा परफॉर्म किया। महिलाओं का तनाव जितना ज्यादा था उसी के अनुसार उनकी परफॉर्मेंस में भी गिरावट थी।

स्टडी की ऑर्थर सिंथिया मुनरो के मुताबिक, ‘नॉर्मल स्ट्रेस शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल के लेवल को बढ़ाता है। तनाव की स्थिति खत्म होने पर यह लेवल फिर से सामान्य होने लग जाता है, लेकिन अगर स्ट्रेस की स्थिति बनी रहे या तनाव बहुत ही ज्यादा हो तो यह हॉर्मोन न सिर्फ बढ़ता है बल्कि यह बढ़ा हुआ लेवल बरकरार रहता है। इससे इस स्थिति से उबरने में परेशानी होती है, जो दिमाग को नुकसान पहुंचाने लगता है’।

वहीं पुरुषों के मामले में स्ट्रेस का याददाश्त पर कोई विशेष असर नहीं दिखा। हालांकि, स्टडी में इस बात पर जरूर जोर दिया गया कि स्ट्रेस शरीर को अलग-अलग रूप से पुरुषों की हेल्थ को भी प्रभावित करता है।

-एजेंसियां