अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता अपना स्टील बिजनेस बेचने जा रही है। आर्सेलर मित्तल के लक्ष्मी मित्तल ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। लेकिन उन्हें अपने एक पुराने साथी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। आर्सेलर मित्तल के पूर्व एग्जीक्यूटिव जय सराफ वेदांता की स्टील कंपनी ईएसएल स्टील के लिए बोली लगाने पर विचार कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक इसके लिए वह एक कंसोर्टियम बना रहे हैं। इसमें निथिया कैपिटल और कुछ फाइनेंशियल इन्वेस्टर्स शामिल हो सकते हैं। मित्तल स्टील बोर्ड के एग्जीक्यूटिव मेंबर रहे सराफ ने 2010 में निथिया कैपिटल की स्थापना की थी। वेदांता के मुताबिक ईएसएल स्टील का वैल्यूएशन ₹10,000 करोड़ है लेकिन उसे इससे कम पर समझौता करना पड़ सकता है।
भारत में लिस्टेड वेदांता लिमिटेड के स्वामित्व वाली ईएसएल स्टील की वर्तमान क्षमता 1.5 मिलियन टन है और उसका लक्ष्य इसे दोगुना करना है। सराफ और निथिया कैपिटल का विभिन्न देशों में मुसीबत में फंसे स्टील संयंत्रों को सफलतापूर्वक चालू करने का ट्रैक रिकॉर्ड है। सराफ का कदम उन्हें अपने पूर्व एम्प्लॉयर के साथ प्रतिस्पर्धा में ला सकता है। आर्सेलर मित्तल भी ईएसएल के लिए बोली लगाने पर विचार कर रहा है। हालांकि, वैल्यूएशन में अंतर के कारण आर्सेलर मित्तल के साथ चर्चा को रोक दिया गया है। सराफ, निथिया कैपिटल और आर्सेलर मित्तल ने इस बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
कितना है कर्ज
कर्ज में डूबी वेदांता ने अपने नॉन-कोर एसेट्स को बेचने की घोषणा की है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि उसके स्टील बिजनस में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने दिलचस्पी मिली है। अगले कुछ महीनों में डील होने की उम्मीद है। सराफ और निथिया के सह-संस्थापक जोहान्स सिटार्ड पहले मित्तल स्टील में एक साथ काम करते थे। इस दौरान उन्होंने कई देशों में मुसीबत में फंसे स्टील संयंत्रों को सफलतापूर्वक चालू किया था। 2021 में निथिया कैपिटल ने आईबीसी में उत्तम गैल्वा के स्टील बिजनस को खरीदने के लिए CarVal के साथ भागीदारी की थी। वेदांता ने 2018 में ₹5,320 करोड़ में ईएसएल स्टील का अधिग्रहण किया और अब इसे बिक्री के लिए रखा है।
वेदांता लिमिटेड ने विभिन्न व्यवसायों को अलग करने के लिए छह सूचीबद्ध इकाइयाँ बनाने की योजना की घोषणा की है। कंपनी पर ₹20,000 करोड़ का कर्ज है। वेदांता ने इससे पहले भी साल 2022 के अंत में ईएसएल स्टील को बिक्री के लिए रखा था लेकिन उसने इस योजना को छोड़ दिया था। तब यह कहा गया कि कंपनी के टर्नअराउंड का काम पूरा नहीं हुआ है और ज्यादा वैल्यूएशन नहीं मिलेगा। फिर पिछले साल वेदांता ने अपने स्टील बिजनस को बिक्री के लिए रखा।
-एजेंसी
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