किसानों का भारत बंद रहा पूरी तरह निष्‍प्रभावी, पूरे देश में नहीं दिखा कोई असर

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आम आदमी का किसानों के इस आंदोलन के प्रति कोई सहानुभूति न होना भी भारत बंद को असफल बनाने में अहम रहा। पूरे देश में सबसे बड़े व्यापारियों के संगठन कैट ने एक दिन पहले ही इस आंदोलन में शामिल न होने की घोषणा कर दी थी। आंदोलन को बेअसर करने में इस घोषणा को भी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके एक दिन पहले किसानों के रेल रोको आंदोलन को भी कोई सफलता नहीं मिली थी।

पंजाब में कुछ असर

किसानों के प्रभाव क्षेत्र वाले पंजाब और हरियाणा के कुछ इलाकों में भारत बंद का सीमित असर देखा गया है। कई बाजारों में दुकानें बंद रहीं, तो व्यावसायिक-सरकारी संस्थान भी बंद रहे। चूंकि किसान आंदोलन में सबसे बड़ी भागीदारी पंजाब के किसानों की ही है इसलिए उनके प्रभाव क्षेत्र वाले क्षेत्रों में बंद का मिलाजुला असर हुआ है।

किसान विरोधी रैली भी निकली

जहां किसान अपने साथ पूरे देश के किसानों-मजदूरों के होने का दावा कर रहे हैं, वहीं हरियाणा के कुछ इलाकों में किसान आंदोलन विरोधी रैली भी निकली। रैली में शामिल युवाओं का कहना था कि केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए कुछ किसान नेता बार-बार आंदोलन के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं। इससे किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी नुकसान हो रहा है और आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है।

यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में कई लाख युवाओं के शामिल होने की संभावना है। इन युवाओं का भी कहना है कि आंदोलन और भारत बंद से उनका भविष्य दांव पर लग जाता है। किसानों को बार-बार आंदोलन करने की बजाय सरकार से बातचीत और चुनाव में सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति अपनानी चाहिए। युवाओं का कहना था कि बंद के कारण यदि वे अपने परीक्षा केंद्रों पर पहुंचने से वंचित रह गए तो उनका भविष्य अंधेरे में चला जाएगा।

जाम से जूझती रही दिल्ली

भारत बंद भले ही असफल हो गया हो लेकिन किसान आंदोलन के कारण दिल्ली-एनसीआर एरिया में लोगों को भारी जाम से जूझना पड़ रहा है। शुक्रवार सुबह भी गाजीपुर यूपी गेट बॉर्डर पर वाहनों का कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जिससे लोगों को आवाजाही में भारी परेशानी हुई। इसी तरह नोएडा से दिल्ली जाने वाले रास्तों कालिंदीकुंज बॉर्डर, बदरपुर और वजीराबाद में भी भारी जाम देखा गया।

-एजेंसी


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