आगरा में कई दिनों तक लगातार उफान पर रहने के बाद, मंगलवार की सुबह आखिरकार यमुना नदी अपने किनारों को तोड़ते हुए शहर में प्रवेश कर गई और 45 साल बाद यमुना के पानी ने ताजमहल की दीवार को तक को छू लिया है। वहीं ताजमहल के आसपास बने निचले इलाकों में भी पानी भर गया है। कई आवासीय कॉलोनियों और गांवों के अलावा मेहताब बाग स्मारक को भी जलमग्न कर दिया जिसके बाद स्मारक को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इन इलाकों में एनडीआरएफ को तैनात किया गया है।
बटेश्वर में पानी बढ़ने से 400 वर्ष से अधिक पुराने शिव मंदिरों की श्रृंखला को ख़तरा पैदा हो गया है। यहाँ बाढ़ ने कई पुराने मंदिरों को जलमग्न कर दिया है। यमुना किनारे बाह के राजाओं द्वारा स्थापित कुल 101 शिव मंदिरों की इस श्रृंखला में से लगभग 60 मंदिर पूर्व में आई बाढ़ों की भेंट चढ़ चुके हैं। यहाँ आपात स्थिति के लिए तैनात किए गये गोताखोरों ने बाढ़ में बहते हुए भूसे के ढेर पर फँसे हुए तीन ग्रामीणों की जान बचाई, जिसका वीडियो वायरल हो गया है।आगरा के प्राचीन कैलाश मंदिर प्रांगण और गर्भगृह में पानी में डूब गया है।
यमुना नदी के पानी ने आज सुबह मेहताब बाग स्मारक में प्रवेश कर लिया जिसके बाद स्मारक को अनिश्चितकाल के लिए पर्यटकों हेतु बंद कर दिया गया है , जबकि पानी पहले ही ताज महल की पिछली दीवार को छू चुका है। स्थानीय लोगों का दावा है कि आखिरी बार नदी ने ताज महल की पिछली दीवार को 1978 में छुआ था, जब पूरे पुराने शहर में बाढ़ आ गई थी।
रिवर कनेक्ट अभियान के संरक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता बृज खंडेलवाल ने कहा कि इस साल की बाढ़ ने 13 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है, क्योंकि पानी मध्यम बाढ़ स्तर 499 फीट के स्तर को पार कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि इस बार यमुना में पानी 1978 की बाढ़ की तुलना में बहुत कम है, लेकिन पानी अभी से ही शहर में तबाही मचाना शुरू कर रहा है क्योंकि पिछले चार दशकों में गाद और कचरा जमा होने के कारण नदी का तल बहुत उथला हो गया है।
खंडेलवाल ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में, यमुना नदी के किनारे आवासीय कॉलोनियों का अतिक्रमण हो गया है, जिनमें से कई को एनजीटी के आदेशों के तहत ध्वस्त किए जाने के आदेश हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, 50 हजार से अधिक लोग इन नदी किनारे की संपत्तियों को खरीदने के कारण शहर से कट जाने के खतरे में हैं।
उन्होंने कहा, इस दर पर, अगर यमुना 508 फीट के निशान तक पहुंच गई, तो यह स्थानीय आबादी के लिए एक आपदा होगी, क्योंकि शहर ऐसी बाढ़ से निपटने के लिए तैयार नहीं है। पहले ही पानी ने अपने किनारों को तोड़ दिया है और कैलाश मंदिर को जलमग्न कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कैलाश गांव को खाली करना पड़ा है।
जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने जलमग्न गांवों का सर्वेक्षण किया और पानी अधिक बढ़ने की स्थिति में आपदा राहत टीमों को सतर्क रहने के निर्देश जारी किये. उन्होंने कहा कि सभी नदी किनारे के गांवों में बाढ़ के निशान लगा दिए गए हैं और पुलिस टीमों को आदेश दिए गए हैं कि अगर इन निशानों के ऊपर जलस्तर होता है तो इन गांवों को खाली कर दिया जाए।
हालाँकि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि अब यमुना नदी में पानी घटने लगेगा, क्योंकि गोकुल और ओखला बैराज दोनों ने पहले ही पानी के बहाव में कमी का रुझान दिखाना शुरू कर दिया है। आज सुबह 8 बजे गोकुल बैराज का आउटफ्लो 144971 क्यूसेक था, जो कल के आउटफ्लो 146885 क्यूसेक से कम है। इस बीच, शहर के लगभग सभी सीवेज पंपिंग स्टेशन ठप हो गए हैं क्योंकि यमुना की ओर जाने वाले प्रमुख नाले वापस शहर में बहने लगे हैं, जिससे इन नालों के रास्ते यमुना के पानी के शहर में अधिक गहराई तक प्रवेश करने का खतरा बढ़ गया है।
दयालबाग में स्थानीय मछुआरों को आज सुबह नावों का उपयोग करके नदी के किनारे की कॉलोनियों के जलमग्न हिस्सों में खाने-पीने सामग्री पहुंचाते हुए देखा गया। स्थानीय निवासियों के अनुसार जिन सड़कों पर एक दिन पहले कारें दौड़ रही थीं, उन्हीं सड़कों पर नावों को चलते हुए देखना एक अचंभित कर देने वाला अनुभव था।वहीं लोहिया नगर, तनिष्क राजश्री और दयालबाग की कॉलोनियों के सड़क मार्ग पर पानी भर गया है। कैलाश मंदिर परिसर, कैलाश गांव में पानी भर जाने से बलदेव की ओर के छह गांवों का संपर्क शहरी क्षेत्र से कट गया है।
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