विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक में विहिप ने समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि यह शीघ्र लागू होना चाहिए। देश में सभी धर्मों के लोगों को इसका पालन करना चाहिए। पत्नी, बच्चों के अधिकार, वैवाहिक अधिकार और विवाह के लिए आयु संबंधी अधिकार किसी अन्य धर्म के लिए अलग नहीं हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कमल विहार स्थित माहेश्वरी भवन में आयोजित बैठक में विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि विहिप समान नागरिक संहिता की मांग करता है।
एक धर्म विशेष के द्वारा संविधान के नियमों का लगातार उल्लंघन किया जाता है, जिसका नुकसान महिलाओं और बच्चों को उठाना पड़ रहा है। यही कारण है कि अब राष्ट्रीय विधि आयोग ने भी आम लोगों से इस संदर्भ में सुझाव आमंत्रित किया है। 14 जुलाई तक आम लोग सुझाव दे सकते हैं। विहिप ने साफ तौर पर एलान किया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-44 का पालन सभी को करना चाहिए।
दो दिन इन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा
विहिप की बैठक में दो दिन जिन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, उसमें मंदिरों को सरकारी अधिग्रहण से मुक्त कराना, लव-जिहाद के खिलाफ आंदोलन, गो-हत्या रोकने कड़े कानून और मतांतरण रोकना है। इन मुद्दे पर विभिन्न राज्यों के पदाधिकारी अपनी बात रखेंगे। केंद्रीय समिति की बैठक में देशभर के 41 प्रांतों के लगभग 200 पदाधिकारी हिस्सा ले रहे हैं।
कल प्रांत और आयाम के पदाधिकारियों की बैठक
रविवार को प्रांत और आयाम के पदाधिकारियों की बैठक होगी। बैठक में विहिप के अगले छह महीने की कार्ययोजना प्रस्तुत की जाएगी, वहीं प्रांत और आयाम के पदाधिकारी बीते छह महीने की कार्ययोजना की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। आलोक कुमार ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि जो सांसद और विधायक “भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखने” की शपथ लेते हैं, वे संविधान के इन 73 वर्षों में भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता अधिकार लाने में विफल रहे हैं।
-Compiled by up18 News
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