आगरा: अगर आप अपने गंभीर मरीज को इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर आना चाहते हैं तो आप सतर्क हो जाइए। आपको यहां स्ट्रेचर तो मिलेगा लेकिन उस स्ट्रेचर को खींचने और मरीज को वार्ड तक ले जाने वाला वार्ड बॉय आपको नहीं मिलेगा। यहां आपको सेल्फ सर्विस करनी होगी। यानी आप अपने मरीज को लाइए, स्ट्रेचर पर लेटा दीजिये और फिर उसे इमरजेंसी वार्ड, एक्स-रे या फिर अल्ट्रासाउंड रूम तक खुद ही स्ट्रेचर खींचकर ले जाइए। आजकल जिला अस्पताल के यही हालात बने हुए है। अपने परिजन को जिला अस्पताल इलाज के लिए लेकर आए एक परिजन को स्ट्रेचर तो मिला लेकिन उस स्टेशन पर मरीज को लिटा कर इधर उधर ही घूमता रहा, इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
उत्तर प्रदेश की सरकार और स्वास्थ्य मंत्री प्रदेश की सरकारी चिकित्सा प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए जुटे हुए हैं लेकिन सरकारी अस्पताल के कर्मचारी ही उनके इस प्रयास को पलीता लगा रहे हैं। ये लोग इमानदारी से अपनी ड्यूटी का निर्वहन नहीं कर रहे हैं जिसका खामियाजा मरीजों और तीमारदारों को उठाना पड़ रहा है। हर दिन कई मरीज इलाज करवाने के लिए जिला अस्पताल में आते हैं, लेकिन अस्पताल में इन मरीजों को अस्पताल के अंदर ले जाने के लिए वार्ड बॉय नहीं मिलते।
जिला अस्पताल में आजमपाडा निवासी मुवीन अपनी बूढ़ी माँ को लेकर पहुँचा था। अचानक गिरने से उनके कूल्हे और टांग में फैक्चर हो गया था। वह अपनी माँ को इलाज कराने के लिए आगरा के जिला अस्पताल लेकर आए थे। जिला अस्पताल पहुंचने पर सबसे पहले उन्होंने स्ट्रेचर ढूंढा। एक कोने में रखा हुआ स्ट्रेचर उन्हें मिल गया लेकिन वार्ड बॉय नहीं मिला। फिर क्या था मां का सवाल था तो मुबीन और उनकी पत्नी और छोटे-छोटे बच्चों ने ऑटो से उमा को स्ट्रेचर पर लिटाया। मुवीन उनकी पत्नी और छोटे-छोटे बच्चे स्ट्रेचर खींचकर इमरजेंसी वार्ड ले गए। वहां चिकित्सकों ने उन्हें एक्स रे कराने और जांच कराने के लिए भेज दिया। मुवीन फिर से स्ट्रेचर को खिंचते हुए एक्स रे कराने और जांच कराने के लिए ले गए। उनके साथ दो उनके छोटे छोटे बच्चे भी स्ट्रेचर को धक्का देने में लग गए।
अपने मरीज को स्ट्रेचर पर खींचकर ले जा रहे मुवीन से जब वार्ता हुई तो उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल का हाल बेहाल है। वह रोजे से हैं और अपनी मां को स्ट्रेचर पर खींच रहे हैं। इस भीषण गर्मी में उनकी किसी ने मदद नहीं की। यह कैसा जिला अस्पताल है। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितने वादे करती है लेकिन यहां आने के बाद सारे वायदे फेल हो जाते हैं। सुबह से चिकित्सक इधर से उधर घुमा रहे हैं। अपनी बूढ़ी मां को स्ट्रेचर पर लिटाकर इधर से उधर घूम रहा हूं और अब चिकित्सकों ने कह दिया कि इन्हे यहाँ से ले जाइए यहां पर इनका इलाज नहीं हो सकता है।
आपको बताते चले कि जिला अस्पताल में मरीजों को अंदर ले जाने की जिम्मेदारी वार्ड बॉय की है और उसकी ड्यूटी भी लगाई जाती है लेकिन वह मरीजों को अटेंड ही नहीं करते हैं। इससे मरीज के परिजनों को परेशान होना पड़ता है। अस्पताल में हर दिन आने वाले मरीजों को उनके साथ आने वाले परिजनों को स्ट्रेचर लाकर ले जाना पड़ता है, मरीज को अंदर ले जाने के लिए न तो कोई वार्ड बॉय आता है और न ही अस्पताल का अन्य कोई स्टॉफ उनको अटेंड करने आता है।