सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में लिए गए मोदी सरकार के नोटबंदी के फ़ैसले को सही ठहराया

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नोटबंदी (Demonetisation) पर मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया है. पीठ का कहना है कि नोटबंदी में कोई त्रुटि नहीं थी और इसका उद्देश्य ठीक था. लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद अदालत की 5 जजों की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी का फैसला पूरी तरह सही था.

RBI से किया था विचार-विमर्श

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड से यह साफ होता है कि सरकार ने इस मामले में RBI से समुचित विचार-विमर्श किया था और उसके बाद ही नोटबंदी का फैसला लिया गया. ऐसे में सरकार के निर्णय को सही माना जाता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य ठीक था, भले ही वह उद्देश्य पूरा हुआ हो या न नहीं. निर्णय लेने की प्रक्रिया या उद्देश्य में कोई गलती नहीं थी. बता दें कि विपक्ष नोटबंदी को लेकर लगातार सरकार को घेरता आता है.

क्या था याचिकाओं में?

नोटबंदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें कहा गया था कि इससे अर्थव्यवस्था पर असर हुआ है और तमाम लोगों को बेवजह परेशानी उठानी पड़ी थी. साथ ही यह दलील भी दी गई थी कि नोटबंदी के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) एक्ट के सेक्शन 26(2) का पालन नहीं किया गया. इसी के तहत आरबीआई को नोट बदलने का अधिकार मिलता है. याचिकाओं में आगे कहा गया था कि सरकार और RBI के बीच ऐसे मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए थी, जो नहीं हुई. लोगों को पहले ही सूचना दी जानी चाहिए थी कि ऐसा फैसला होने वाला है.

सरकार के पास है अधिकार

अदालत ने कहा कि RBI एक्ट के तहत नोटबंदी का अधिकार सरकार के पास है. इससे पहले भी देश में इसी नियम के तहत दो बार नोटबंदी की जा चुकी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य पूरी तरह सही था. जस्टिस एस.ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि सरकार ने नोटबंदी के फैसले में किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया. इसी के साथ अदालत ने दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि 2016 में 1000 और 500 के नोटों को मोदी सरकार ने अचानक बंद कर दिया था.

-एजेंसी


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