दुनियाभर में जेंडर इक्वलिटी यानी महिला-पुरुष समानता की चर्चा होती है, पर पुरुष केवल बातें करते हैं। हाल ही में हुए 62 देशों के सर्वे में सामने आया कि 58% पुरुष समानता नहीं चाहते हैं। 95% पुरुष कमजोर शब्द को महिलाओं से जोड़कर देखते हैं। इस सर्वे में इन देशों के स्नातक छात्रों ने भाग लिया।
करीब 27,343 लोगों पर हुए इस सर्वे में महज 3% महिलाएं ही शामिल थीं। स्टडी में प्रतिभागियों से व्यक्तित्व लक्षणों पर राय मांगी गई कि यह एक पुरुष या महिला के लिए कितना जरूरी है।
सर्वे में दिखी पुरुषों की दोहरी मानसिकता
सर्वे में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के नतीजे सामने आए, लेकिन पुरुषों के लिए सकारात्मक रवैया ही रहा। वहीं, महिलाओं के लिए साम्यवादी नतीजे मिले। सर्वे के नतीजे पुरुषों की दोहरी मानसिकता की ओर इशारा करते हैं। कंपनी में बॉस के तौर पर पुरुषों को देखना ही लोग पसंद करते हैं। महिलाओं को संवाद के लिए बेहतर माना गया है। सर्वे में बताया गया कि यह नतीजे बच्चों पर ज्यादा प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे उनका नजरिया प्रभावित हो सकता है।
संस्कृति से जुड़ी है जेंडर इक्वलिटी
रिसर्चर जेनिफर बॉसन और उनके सहयोगियों का मानना है कि जेंडर इक्वलिटी की भूमिका संस्कृति से जुड़ी हुई है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए ज्यादा लचीलापन दिखाई देता है। हालांकि, सामाजिक बदलाव के जरिए जेंडर इक्वलिटी भी बदलती रहती है। दुनियाभर में संस्कृतियों के लिए कौन पुरुष और महिलाओं में आगे है, इस बात पर अभी स्टडी नहीं हो पाई है। हालांकि यह अध्ययन स्नातक कर रहे छात्रों पर हुआ है।
महिलाओं की तुलना में पुरुष आत्मविश्वासी, प्रतिस्पर्धी
सर्वे में सामने आया कि पुरुष आत्मविश्वासी और प्रतिस्पर्धी होते हैं। महिलाओं को करूणा, सहायता और सहानुभूति से जोड़कर देखा जाता है। इस तरह पुरुषों को प्रभुत्व और महिलाओं को वीकनेस से जोड़कर भी देखा गया।
Compiled: up18 News
Discover more from Up18 News
Subscribe to get the latest posts sent to your email.