फ्रांस ने भारत को UN सिक्योरिटी काउंसिल का स्थायी सदस्य बनाने की मांग की है। इसके पहले शुक्रवार यानी 18 नवंबर को ब्रिटेन ने भी भारत के पक्ष में यह मांग उठाई थी। यूनाइटेड नेशन (यूएन) में फ्रांस की प्रतिनिधि ने कहा है कि समय आ गया है जब उभरते ताकतवर देशों की दुनिया की सबसे पावरफुल संस्था में भागीदारी बढ़े। फ्रांस ने न सिर्फ भारत बल्कि जर्मनी, ब्राजील और जापान को भी सिक्योरिटी काउंसिल में स्थाई सदस्य बनाने की मांग की है।
UN जनरल असेंबली की एक मीटिंग में नैथिली ब्रोडहर्स्ट ने कहा, ‘फ्रांस लगातार यह मांग उठा रहा है। हम चाहते हैं कि काउंसिल दूसरे देशों को भी साथ लेकर चले जिससे यह संस्था और ज्यादा मजबूत हो। उन्होंने यह भी कहा कि सिक्योरिटी काउंसिल के काम को और बेहतर बनाने के लिए इसमें 25 सदस्य जोड़े जा सकते हैं। जिनमें अफ्रीकी देशों को भी शामिल किया जाए। नैथिली ने जियोग्राफिकल रिप्रेजेंटेशन के आधार पर सिक्योरिटी काउंसिल में सदस्यों को जोड़ने की बात कही है।
भारत कर रहा है UNSC में सुधार की मांग
सिक्योरिटी काउंसिल में बदलावों को लेकर यूएन में भारतीय राजनयिक रुचिरा कंबोज ने गुरुवार को मुद्दा उठाया था। जिसमें उन्होंने UNSC में सामान प्रतिनिधित्व की बात कही थी। बदलावों में जितनी देरी होगी उससे संस्था और दुनिया को उतना ही नुकसान भी होगा। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब भारत की तरफ से इस तरह के सुधारों की मांग उठाई गई हो। समय-समय पर UNSC में इन बदलावों का भारत समर्थन करता रहा है।
भारत UNSC का स्थायी सदस्य क्यों नहीं है?
भारत काफी समय से सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का प्रयास कर रहा है, लेकिन भारत की राह में सबसे बड़ा रोड़ा चीन है। चीन के अलावा फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने पर अपनी सहमति जता चुके हैं, लेकिन चीन अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी सदस्यता का विरोध करता रहा है।
इसके अलावा कई बार UNSC के स्ट्रक्चर में बदलाव की मांगें भी उठती रही हैं। तर्क दिया जाता है कि UNSC में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व कम है, लेकिन स्थायी सदस्य नहीं चाहते कि इसमें किसी तरह का बदलाव हो और किसी दूसरी देश को वीटो पॉवर मिले। भारत के अलावा जापान, जर्मनी और ब्राजील भी सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने का प्रयास कर रहे हैं.
फ्रांस से पहले अमेरिका भी भारत का समर्थन कर चुका
साल 2021 में प्रधानमंत्री के अमेरिकी दौरे के समय वहां के राष्ट्रपति जो बाइ़डेन ने UN सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सीट पर भारत की दावेदारी की वकालत की थी। उस समय भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया था कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि सभी क्वॉड मेंबर देश इस बात पर सहमत हैं।
परमानेंट सीट की दौड़ में भारत का पक्ष मजबूत क्यों?
परमानेंट सीट की दौड़ में जापान और ब्राजील भी हैं। एशिया, यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी के अधिकतर देश हमारे फेवर में हैं। तीन और बातें हैं, जिनसे हमारा मामला मजबूत होता है।
1. दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा भारत में है।
2. भारत ने पहले कभी किसी देश पर हमला नहीं किया।
3. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है।
केवल चीन ही भारत के समर्थन में नहीं
इसी साल जुलाई में सरकार ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया था कि केवल UNSC के पांच स्थाई सदस्यों में से केवल चार का ही समर्थन हासिल है। विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा था कि केवल चीन ही भारत के स्थाई सीट पाने के समर्थन में नहीं है। जिसको लेकर लगातार उससे बात की जा रही है। UNSC के स्थाई सदस्यों में अमेरिका, चीन, रूस, फांस और ब्रिटेन हैं। इसे दूसरे देशों की भागीदारी बढ़ाने को लेकर लगातार मांग उठती रही है।
Compiled: up18 News
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