नई दिल्ली। 52 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पहले ही खराब हो चुकी है, दुनिया में मिट्टी के संकट पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। सदगुरु ने मार्च में अकेले मोटरसाइकिल सवार के रूप में 100 दिन, 30,000 किलोमीटर की “जर्नी टू सेव सॉइल ” की शुरुआत की थी, जो अब आधी हो गयी है। पिछले 50 दिनों में, सदगुरु ने यूरोप का अधिकांश हिस्से, मध्य एशिया के कुछ हिस्सों के साथ-साथ मध्य पूर्व के हिस्से में मिट्टी को बचाने की सख्त आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया है।
इस उद्देश्य के प्रति अपनी अथक प्रतिबद्धता में, सदगुरु बर्फ, रेतीले तूफान, बारिश और शून्य से नीचे के तापमान सहित अत्यंत जोखिम भरी परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। यात्रा के दौरान, उन्होंने प्रत्येक देश में राजनीतिक नेताओं, मिट्टी के विशेषज्ञों, नागरिकों, मीडिया कर्मियों और प्रभावकारी व्यक्तियों से मुलाकात की है, उन्हें मिट्टी के विलुप्त होने से निपटने की तत्काल आवश्यकता के बारे में जागरूक किया है।
एक शानदार अनुक्रिया प्राप्त करते हुए, मिट्टी बचाओ अभियान पहले ही 2 बिलियन से अधिक लोगों को प्रभवित कर चुका है, जिसमें 72 देश मिट्टी को बचाने के लिए कार्य करने के लिए सहमत हुए हैं।
सदगुरु ने कहा, “मिट्टी हमारी संपत्ति नहीं है, यह एक विरासत है जो पिछली पीढ़ियों से हमारे पास आई है, और हमें इसे जीवित मिट्टी के रूप में आने वाली पीढ़ियों को देना चाहिए।”
वर्तमान में सदगुरु मध्य पूर्व में हैं , मई के अंत में भारत पहुंचेंगे, और 21 जून तक देश में यात्रा करेंगे।
यहां पर अभी तक की उपलब्धियों के साथ मिट्टी बचाओ यात्रा का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
1. अंतर्राष्ट्रीय संगठन जो पारिस्थितिक कार्रवाई का नेतृत्व कर रहे हैं, जैसे कि इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेशंस (आईयूसीएन) और यूनाइटेड नेशंस (यूएन) एजेंसियां – यूनाइटेड नेशंसर कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी), वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) और यूनाइटेड नेशंस एनवायर्नमेंटल प्रोग्राम (यूएनईपी) अभियान के साथ साझेदारी करने के लिए आ चुके हैं ।
2. पहले 50 दिनों में, अभियान के द्वारा 7 कैरिबियाई देशों, अजरबैजान, रोमानिया, यूएई सहित कई देशों को मिट्टी की सुरक्षा के लिए नीतियां बनाने के लिए “मिट्टी बचाओ” के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करते हुए देखा है।
3. 54 राष्ट्रमंडल राष्ट्र(कामनवेल्थ ऑफ़ नेशंस ), और साथ ही यूरोपीय संघ और कई अखिल यूरोपीय संगठन भी मिट्टी बचाओ अभियान का समर्थन करने के लिए आगे आए हैं।
4. चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, बुल्गारिया, इटली, वेटिकन और सूरीनाम गणराज्य ने मिट्टी बचाओ अभियान के साथ समन्वयता व्यक्त की है।
5. जर्मनी के शिक्षा मंत्रालय ने जर्मनी के बच्चों को #SaveSoil मिट्टी बचाओ अभियान में भाग लेने का निर्देश भेजा है। बच्चों की कलाकृतियों को “मिट्टी बचाओ – कला और कविता की एक वैश्विक प्रदर्शनी” के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा।
6. सबसे प्रभावशाली अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी इस्लामी संगठनों में से एक, मुस्लिम वर्ल्ड लीग ने मिट्टी को विलुप्त होने से बचाने के वैश्विक आंदोलन के लिए अपना समर्थन देने का वादा किया है।
7. दुनिया भर के हजारों प्रभावकारी व्यक्ति, मशहूर हस्तियां, खिलाड़ी, पत्रकार और वैज्ञानिक अपनी आवाज उठाने और मिट्टी के विलुप्त होने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए आगे आए हैं।
8. जलवायु परिवर्तन को कम करने और मिट्टी के पुनर्जीवन के माध्यम से खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिए फ्रांसीसी सरकार की “4 प्रति 1000” पहल ने भी मिट्टी बचाओ के साथ एक समझौता ज्ञापन(एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
9. यात्रा के दौरान सभी शहरों में मिट्टी बचाओ कार्यक्रमों को कवर करने वाले 18 देशों के 250 से अधिक मीडिया आउटलेट्स के साथ इस आंदोलन को दुनिया भर के लोगों से भारी प्रतिक्रिया मिली है।
10. 5 लाख से अधिक छात्रों ने भारत में अपने मंत्रियों को पत्र लिखकर मिट्टी के पुनर्जीवन के लिए कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
11. भारत में विभिन्न दलों जैसे की कांग्रेस, भाजपा, आप, टीआरएस, बीजद, सपा, शिवसेना और कई अन्य के राजनेताओं और नेताओं ने पूरे दिल से अभियान का समर्थन किया है।
12. सदगुरु ने मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के पार्टियों के सम्मेलन (सीओपी15) के 15वें सत्र में 193 देशों को संबोधित किया। सदगुरु ने अपने संबोधन में एक व्यापक उद्देश्य पर जोर दिया है – कृषि योग्य मिट्टी में न्यूनतम 3-6% जैविक सामग्री सुनिश्चित करना और इसे प्राप्त करने के लिए एक त्रि-स्तरीय रणनीति प्रदान की है ।
सदगुरु इस महीने के अंत में गुजरात के जामनगर पहुंचेंगे और 25 दिनों में 9 राज्यों की यात्रा करेंगे। मिट्टी बचाओ अभियान यात्रा कावेरी नदी के बेसिन में समाप्त होगी, जहां सदगुरु द्वारा शुरू की गई कावेरी कॉलिंग परियोजना ने 1,25,000 किसानों को मिट्टी और कावेरी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए 62 मिलियन पेड़ लगाने में सक्षम बनाया है।