आगरा कुलदीप हत्याकांड: अपहरण की कहानी के 25 दिन, लाखों की फिरौती, पेड़ पर लटके रहे 25 लाख

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आगरा। 9 साल के मासूम कुलदीप की हत्या के पीछे कई राज दफन थे, जिन्हें पुलिस ने धीरे-धीरे खोल दिया है। गांव के ही रहने वाले कुलदीप को गिल्ली डंडा खेलने के बहाने ले गए थे, जिसे जंगल में ले जाकर मार दिया गया। कुलदीप के अपहरण की कहानी 25 दिन बाद खुली है। थाना इरादत नगर के गांव हज्जुपुरा के रहने वाले गब्बर के पुत्र कुलदीप का 23 जनवरी को अपहरण हुआ था। आज पुलिस ने पूरे मामले का खुलासा किया है। 25 दिन बाद कुलदीप का शव जंगल में दफनाया हुआ मिला है। पुलिस की कई टीमें कुलदीप को खोजने में लगी हुई थी।

कुलदीप के अपहरण की 25 दिन की कहानी में कई मोड़ आए। अपहरण होने के कुछ दिन बाद ही कुलदीप के घर पर एक पत्र फेंका गया। इसमें लिखा गया था कि खेरागढ़ रोड पर सैया बस स्टैंड के पास वह 35 लाख लेकर आ जाएं। परिजन 35 लाख रुपए लेकर पहुंचे, लेकिन वहां पर कोई नहीं आया। दो दिन बाद फिर से कुलदीप के घर में एक पत्र फेंका गया। इसमें लिखा गया कि सरेन्धी से आगे जो पेट्रोल पंप है उसके पास में एक शीशम का पेड़ है, उस पर वह 25 लाख रुपये टांग दें। कुलदीप के पिता ने पेड़ पर शाम को 6 बजे जाकर 25 लाख रुपए टांग दिए। रात के 11 बजे तक पैसे टंगे रहे लेकिन कोई लेने नहीं आया।

कुलदीप के पिता गब्बर ने पड़ोसियों से कहा था कि उन्होंने दूसरी बार जो पैसे पेड़ पर टांगे थे, उस थैले में एक पत्र भी रखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें कुलदीप के जिंदा होने का सबूत चाहिए। इधर, तीसरा पत्र जब घर में फेंका गया था उसके साथ कुलदीप का टोपा भी फेंका गया था जबकि अपहरणकर्ताओं पेड़ से पैसे वाला बैग लेकर नहीं गए थे फिर भी उन्हें पता था कि उसमें पत्र रखा हुआ है।

यहां से नजदीकी पर पहुंची पुलिस

क्योंकि गाँव में कोई बाहरी व्यक्ति आया नहीं। इसलिए पुलिस को गांव के लोगों पर हत्या का शक हो गया था। गब्बर के परिवार से पुरानी रंजिशों को छानबीन करते हुए एसओजी और थाना पुलिस ने हत्यारोपियों को पकड़ने के लिए काफी मेहनत की। इन्होंने मुकेश, आंशू और कन्हैया को पकड़ लिया। तीनों से पूछताछ हुई तो तीनों ने हत्या की बात कबूल की। मुकेश ने बताया कि मैं गिल्ली डंडा लाने के बहाने कुलदीप को लेकर गया था, जिसके बाद उसकी हत्या हो गई। हमने उसके शव को एक गुफा में रख दिया था। बाद में उसे जमीन में गाड़ दिया।

5 साल पुरानी रंजिश में की हत्या

पुलिस पूछताछ में आंशू ने बताया कि गब्बर के घर में 5 साल पहले मैंने जेवरात की चोरी की थी। हालांकि पुलिस के दबाव में मैंने जेवर वापस कर दिए थे, लेकिन इस मामले में गब्बर ने मेरी काफी बेइज्जती की थी। इसलिए मुझे अपनी बेइज्जती का बदला लेना था। मुकेश ने बताया कि मेरी बहन की ससुराल में मृत्यु हो गई थी। ससुराली जनों ने ढाई लाख रुपए समझौते के लिए गब्बर को दिए थे। गब्बर यह पैसे नहीं दे रहा था, जिसके बाद मैं उससे दुश्मनी मानने लगा था।