बारिश के चलते उत्तराखंड में 1508 सड़कें बंद, सात पुल भी हुए हैं क्षतिग्रस्त

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पिछले वर्ष प्रदेश में 15 जून को मानसून सक्रिय हो गया था जबकि इस बार 25 जून के बाद इसने रफ्तार पकड़ी। हालांकि, इससे करीब चार-पांच दिन पहले से प्री मानसून की बारिश हो चुकी थी। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में मानसून की बारिश हमेशा आफत लेकर आती है। सबसे अधिक कहर सड़कों पर बरसता है। बारिश में स्लिप आने और क्रॉनिक लैंडस्लाइड जोन (अति संवेदनशील) सड़कों के बंद होने का बड़ा कारण बनते हैं।

पहले से चिह्नित भूस्खलन क्षेत्रों के अलावा हर साल नए क्रॉनिक जोन विकसित हो रहे हैं, जो सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय हैं।

लोनिवि की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार इस साल अब तक कुल 1,508 सड़कें बंद हो चुकी हैं। इनमें 1,120 सड़कें लोनिवि, सात एनएच और 381 पीएमजीएसवाई की हैं। इनमें से अब तक 1,235 सड़कों को खोला जा चुका है, जबकि 273 अब भी बंद हैं। इन सड़कों को चालू हालत में लाने के लिए 1,776.24 लाख रुपये खर्च होंगे जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए 3,560.66 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। यह आकलन लोनिवि की ओर से अपनी रिपोर्ट में किया गया है।

सात पुल भी हुए हैं क्षतिग्रस्त

प्रदेश में भारी बारिश के बाद उपजे हालात के कारण सात पुलों को भी नुकसान पहुंचा है। इनको चालू करने के लिए 14 लाख रुपये खर्च होंगे, जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए कुल 337.50 लाख रुपये खर्च होंगे।

पुलों और सड़कों पर खर्च होंगे करोड़ों रुपये

अब तक क्षतिग्रस्त हुई सड़कों और पुलों को पूर्व की स्थिति में लाने के लिए सरकार को करोड़ों रखर्च करने पड़ेंगे। सड़कों और पुलों को चालू हालत में लाने के लिए 1790.24 लाख रुपये खर्च होंगे जबकि पूर्व की हालत में लाने के लिए 3898.15 लाख रुपये की जरूरत पड़ेगी। यह आकलन लोनिवि की ओर से अपनी रिपोर्ट में किया गया है।
लोनिवि के सचिव डॉ. पंकज गुप्ता के अनुसार पिछले कुछ दिनों में हुई लगातार बारिश से सड़कों के बंद होने का सिलसिला बढ़ा है। हालांकि जिस तेजी से सड़कें अवरुद्ध हुई हैं, उसी तेजी के साथ उन्हें खोलने की कार्रवाई भी की जा रही है। चिह्नित स्थानों पर मानव संसाधन के साथ ही जीपीएस से लैस मशीनों को भी लगाया गया है। शासन स्तर पर प्रत्येक सड़क की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।

Compiled: up18 News