अफगानिस्तान में तालिबान आतंकियों के सत्ता में आए 11 महीने हो गए हैं लेकिन अभी तक उन्हें मान्यता नहीं मिल पाई है। तालिबानी मंत्री दुनिया से गुहार लगा रहे हैं लेकिन दुनिया उन्हें अनसुना कर रही है। इस बीच अब खुलासा हुआ है कि इस साल मार्च महीने में पाकिस्तान समेत 12 देश तालिबान को मान्यता देने के लिए तैयार हो गए थे लेकिन तालिबानी सरकार की एक गलती की वजह से उन्होंने अपना फैसला टाल दिया। दरअसल, तालिबान ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से वादा किया था कि वह लड़कियों की शिक्षा समेत अपने अन्य वादों को पूरा करेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एक पाकिस्तानी अधिकारी के हवाले से कहा, ‘तालिबान ने एक बड़े अवसर को खो दिया। करीब 10 से 12 देश मार्च महीने में सक्रिय रूप से तालिबान सरकार को मान्यता देने के लिए सक्रिय रूप से विचार कर रहे थे।’ इस पूरी प्रकिया में शामिल अधिकारी ने कहा कि तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा समेत अन्य वादों को पूरा नहीं किया, जिससे इनमें से कई देश अपनी योजना से पीछे हट गए।
तालिबान ने दुनिया को दिया ‘धोखा’, अब भुगत रहे
अधिकारी ने कहा कि न केवल पाकिस्तान बल्कि कई अहम देश तालिबान के शासन को औपचारिक रूप से स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए थे। उन्होंने कहा, ‘अगर इन देशों ने तालिबान को मान्यता दे दी होती तो अन्य देश भी इसका अनुसरण करते।’ उन्होंने कहा कि इस अवसर को खोने के लिए तालिबान केवल जिम्मेदार हैं। तालिबान जब सत्ता में आए थे तब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आश्वासन दिया था कि एक मिली-जुली सरकार बनेगी और अपनी जमीन का वे आतंकियों के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे।
तालिबान ने यह भी वादा किया था कि वह महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। तालिबान ने लड़कियों के लिए स्कूल भी नहीं खोला। यही वजह रही कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान सरकार को मान्यता देने से हाथ खींच लिया। जून में पाकिस्तान के दौरे पर आए जर्मनी के विदेश मंत्री ने साफ कह दिया था कि तालिबान सरकार गलत दिशा में जा रही है। तालिबान सरकार को मान्यता नहीं मिलने से वह अपने लोगों को राहत नहीं दे पा रही है।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने दोहा में अमेरिका के विशेष दूत से मुलाकात की थी और अफगान सेंट्रल बैंक की संपत्तियों को फिर से लौटाने का अनुरोध किया था। अमेरिका ने अभी कोई जवाब नहीं दिया है।
-एजेंसियां