आमतौर पर हाई बीपी की समस्या का तब तक पता नहीं चलता है जब तक कि रोगी को हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक या हृदय से जुड़ी कोई अन्य बीमारी नहीं हो जाती है। यही वजह है कि इस समस्या को साइलंट किलर के रूप में भी जाना जाता है। यदि आप अपने शरीर में हो रहे कुछ सामान्य लेकिन इस समस्या से जुड़े बदलावों को समय से पहचान लेंगे तो आप हाई बीपी की गंभीर स्थिति का सामना करने से बच सकते हैं।
दो प्रकार का होता है हाई ब्लड प्रेशर
-हाई ब्लड प्रेशर के दो प्रकार माने जाते हैं। इनमें प्राइमरी हाई ब्लड प्रेशर और सेकेंडरी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या शामिल है। अब तक प्राइमरी ब्लड प्रेशर की समस्या का कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आ सका है।
लेकिन सेकेंडरी ब्लड प्रेशर की वजह के रूप में मोटापा, अनुवांशिकता, लेजी लाइफस्टाइल, नशे की आदत और बढ़ती उम्र जैसी समस्याएं शामिल हैं।
हाई ब्लड प्रेशर के प्रारंभिक लक्षण
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से बचने का सबसे अच्छा और आसान तरीका तो यही है कि आप अपने शरीर को एक्टिव रखें और तनाव से जितना हो सके दूर रहें क्योंकि एक बार यह समस्या घेर लेती है तो फिर पूरा जीवन सेहत से जुड़ा एक खतरा हर समय मंडराता रहता है।
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के प्रारंभिक लक्षणों के रूप में जो सामान्य बदलाव हमारे शरीर में होते हैं, उन्हें हम आमतौर पर अनदेखा कर देते हैं लेकिन अगर ये स्थितियां लगातार बन रही हों तो डॉक्टर से बात करना जरूरी हो जाता है।
-सांस लेने में दिक्कत होना
-सीने में अक्सर भारीपन की समस्या
-बार-बार चक्कर आना
-नाक से खून आना
-यूरिन में खून आना
-सिर में अक्सर दर्द होना
हाई बीपी की जांच से जुड़ी जरूरी जानकारी
-ब्लड प्रेशर की स्थिति लगातार बदलती रहती है इसलिए इस बात का पता लगाने के लिए कि क्या आपका बीपी हाई रहने लगा है, डॉक्टर्स कई दिनों तक लगातार आपको बीपी की जांच कराने की सलाह देंगे।
-इसके अतिरिक्त डॉक्टर आपको कुछ अन्य जांच कराने के लिए भी कह सकते हैं। जैसे, यूरिन टेस्ट, ईसीजी और कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग। इन जांच की रिपोर्ट्स के आधार पर और आपके ब्लड प्रेशर की नियमित जांच के बाद ही डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि क्या वाकई आप हाई ब्लड प्रेशर के रिस्क की तरफ बढ़ रहे हैं या नहीं।
-एजेंसियां