स्पेशल ऑप्स 1.5 द हिम्मत स्टोरी, नाम से ही कोई स्पेशल नही बन जाता

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मुंबई। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्पेशल ऑप्स 1.5 द हिम्मत स्टोरी र‍िलीज हो गई हालांक‍ि नाम से ही कोई स्पेशल नहीं बन जाता। हालांक‍ि ये थ्रिलर एक्शन दर्शकों के लिए एक ट्रीट की तरह है। सीरीज की आगे की कहानी यह पता लगाएगी कि हिम्मत सिंह देश के सबसे बड़े जासूस से, देश का सबसे बड़ा खतरा कैसे बन बैठा।

शुरुआत से ही फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक किसी जासूसी फ़िल्म के लिए उपयुक्त लगता है और साथ में जिन कोणों का प्रयोग कर दृश्य दिखाए गए हैं वो लाजवाब हैं। यूक्रेन की खूबसूरती पर आपका दिल आ जाएगा।

विपक्षी नेता से हिम्मत सिंह यान‍ि के के मेनन का संवाद सुनने लायक है तो अब्बास बने विनय पाठक का
‘कभी- कभी दूसरों से लड़ना आसान होता है और अपने लिए लड़ना सबसे मुश्किल’ जैसे कुछ संवाद भी अच्छे हैं।

वेब सीरीज़ पूरी तरह से के के मेनन की है जिनका अभिनय ठीक कहा जा सकता है. विनय पाठक, काली प्रसाद मुखर्जी जैसे दिग्गज भी वेब सीरीज़ में हैं पर उनके साथ वेब सीरीज़ के अन्य कलाकारों के पास करने के लिए ज़्यादा कुछ बचा नही है।

आफताब को फिर से देखना अच्छा लगा है, ओटीटी ने कई अभिनेताओं के डूबते कैरियर को फिर से जान दी है।

कहानी हनी ट्रैप और रॉ के इर्दगिर्द बुनी गई है, यह विषय मनोरंजन क्षेत्र में हमेशा सुपरहिट रहा है पर यहां इस पर बनी वेब सीरीज़ को ठीक तरह से सम्पादित नही किया गया और कहानी में भी बड़ा झोल लगा है।

वेब सीरीज़ में एक बार चीनी लड़की की बात तो करी जाती है पर फ़िर वो गायब है, हिम्मत अपनी गर्लफ्रेंड सरोज को क्यों कैद कर जाते हैं और फिर क्यों मार देते हैं वो समझ नही आता।

जिस आसानी से हर कोई अपने टार्गेट तक पहुंच रहा था, उससे तो लगा जासूसी करना पांचवी पास मानुष के लिए भी आसान काम है।

अगर आपके पास टाइम पास करने के साधन बिल्कुल ही ख़त्म हो गए हैं और तीन-चार दिन तक आप कुछ नही देख पाए तब एक बार यह वेब सीरीज़ देखी जा सकती है।

निर्देशक- नीरज पांडे
निर्माता- शीतल भाटिया
लेखक- नीरज पांडे ,दीपक किंगरानी, बेनज़ीर अली फ़िदा
छायांकन- सुधीर पलसाने, अरविंद सिंह
संगीतकार- अद्वैत नेमलेकर
संपादक- प्रवीण काथिकुलोठी
ओटीटी प्लेटफॉर्म- डिज्नी+ हॉटस्टार
कलाकार- के के मेनन, विनय पाठक, आफताब शिवदासानी, ऐश्वर्या सुष्मिता
समीक्षक- हिमांशु जोशी
रेटिंग- 2.5/5

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