बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को जल्द इलाज मिल जाए तो डिप्रेशन से रोकना संभव

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बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को यदि जल्द इलाज मिल जाए तो उसे डिप्रेशन या उन्माद की उच्च स्थिति पर जाने से रोका जा सकता है।

बायपोलर डिसऑर्डर एक मेंटल हेल्थ कंडीशन है जिसमें व्यक्ति का मूड बदलता रहता है। मूड में होने वाले यह बदलाव सामान्य की श्रेणी में नहीं आते। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति महीनों तक अवसाद में रह सकता है या फिर लंबे समय तक एंग्जाइटी की स्थिती से गुजर सकता है।

लक्षण

बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति में तीन मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं।

पहला मैनिया (mania), दूसरा हायपोमैनिया (hypomania) और तीसरा डिप्रेशन।

मैनिया की स्थिति में व्यक्ति इमोशनल तौर पर काफी ज्यादा सेंसेटिव हो जाता है। भावनाओं पर उसका ज्यादा नियंत्रण नहीं रहता है। वह बहुत ज्यादा उत्तेजित, आवेग, बहुत ज्यादा खुश व ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करता है। मैनिया एपिसोड के दौरान व्यक्ति के कार्य व रिश्तों पर सबसे ज्यादा असर देखने को मिलता है।

हायपोमैनिया मैनिया से कम वाली स्थिति है। इसे ज्यादातर बायपोलर 2 डिसऑर्डर कहा जाता है। इस स्थिति में भी व्यक्ति के मूड में काफी बदलाव आते हैं हालांकि इससे उसके कार्य व रिश्तों को मैनेज करने की क्षमता पर असर नहीं पड़ता।

डिप्रेशन वाली स्थिति में व्यक्ति बहुत ज्यादा उदास, निराश, ऊर्जा में कमी, चीजों में कम रुचि, कम या बहुत ज्यादा नींद जैसे लक्षण दिखाता है। उसके दिमाग में आत्महत्या करने के ख्याल भी आ सकते हैं। ऐसे में इन लक्षणों को जल्दी पहचानना जरूरी है।

इलाज

बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति को डॉक्टरी इलाज की आवश्यकता होती है। लक्षण दिखाई देने पर बेहतर है कि व्यक्ति को जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाया जाए, ताकि स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सके। आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित होने पर व्यक्ति को जीवनभर दवाई का सहारा लेना पड़ता है। दवाई का डोज कितना ज्यादा या कम होगा इसका निर्णय डॉक्टर लगातार होने वाली टेस्ट के आधार पर करता है।

-एजेंसियां