जीवनदान देने वाली जड़ी-बूटी ‘संजीवनी’ की तलाश पूरी, पाई जाती है हिमालय पर

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दो वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लद्दाख में पाई जाने वाली उस जड़ी-बूटी का भी जिक्र किया, जिसे रामायण में वर्णित संजीवनी माना जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि रामायण में लक्ष्मण को जीवनदान देने वाली जड़ी-बूटी ‘संजीवनी’ की तलाश पूरी हो गई है। इस जड़ी-बूटी को स्थानीय लोग ‘सोलो’ कहते हैं।

यह जड़ी-बूटी हिमालय पर इतनी ऊंचाई पर पाई जाती है, जहां जीवन को बनाए रखना ही अपने आप में एक चुनौती है।

रेडियो-ऐक्टिविटी से बचाती है रोडियोला

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एक चमत्कारी जड़ी-बूटी है, जो इम्यून सिस्टम यानी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को ठीक कर सकती है और ऊंचाई के वातावरण में शरीर को ढलने में मदद करती है।

इस जड़ी-बूटी का सबसे फायदेमंद गुण ये है कि यह रेडियो-ऐक्टिविटी से भी बचाव करती है। वैज्ञानिकों ने इस जड़ी-बूटी को ‘रोडियोला’ नाम दिया है। रोडियोला ठंडे और ऊंचाई वाले जगह पर पाया जाता है। स्थानीय लोग रोडियोला को ‘सोलो’ कहते हैं और इसकी पत्तियों का सब्जियों में भी प्रयोग करते हैं।

कई बीमारियों के इलाज में होता है इस्तेमाल

हालांकि लेह स्थित डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ हाई ऐल्टिट्यूड रिसर्च (डीआईएचएआर) के शोध से पता चला है कि रोडियोला का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जा सकता है। डीआईएचएआर के निदेशक आर. बी. श्रीवास्तव ने बताया, ‘रोडियोला एक आश्चर्यजनक पौधा है, जो रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाता है, कठिन जलवायु की स्थितियों में शरीर को अनुकूल बनाता है और रेडियो ऐक्टिविटी से बचाव करता है। इस पौधे में सीकोंडरी मेटाबोलाइट्स और फायटोऐक्टिव तत्व पाए जाते हैं, जो विशिष्ट तत्व हैं।’

इस जड़ी बूटी में पाए जाते हैं भूख बढ़ाने वाले गुण

श्रीवास्तव ने कहा कि यह जड़ी बूटी बम या बॉयोकेमिकल लड़ाई से पैदा हुए गामा रेडिएशन के प्रभाव को कम करती है। लेह स्थित डीआरडीओ की प्रयोगशाला में रोडियोला पर एक दशक से शोध हो रहा है।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘इस पौधे की एडैप्टोजेनिक क्षमता सैनिकों को कम दवाब और कम ऑक्सिजन वाले वातावरण में अनुकूल होने में मदद कर सकती है, साथ ही इस पौधे में अवसाद-रोधी और भूख बढ़ाने वाला गुण भी है।’

-एजेंसियां