काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पणः शाहजहां ने ताजमहल के कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे, मोदी ने कारीगरों संग भोजन किया

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हो सकता है आप यह समाचार पढ़कर यह सोचें कि मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चमचागीरी कर रहा हूँ। अगर आप ऐसा सोचते भी हैं तो मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता है क्योंकि सच्ची बात का ढिंढोरा पीटा ही जाना चाहिए। हमारे राजेनता अगर कुछ अच्छा करते हैं तो सबके सामने आना ही चाहिए। खराब है तो उसे बारे में भी सबको अवगत कराया जाना चाहिए। लेखक और पत्रकार आजकल मुसीबत में हैं। अगर कांग्रेस की सही बात लिख दें तो भाजपाई कहते हैं कि ‘पत्तलकार’ हो गया है। अगर भाजपा की अच्छी बात लिख दें तो कांग्रेसी कहते हैं कि ‘मीडिया बिकाऊ है’। इन विपरीत परिस्थितियों में लेखक और पत्रकारों को काम करना पड़ रहा है। इससे आप लेखक की किंकर्तव्यविमूढ़ता का अनुमान लगा सकते हैं। फिर भी सच्ची बात कही जाएगी और सौ दफा कही जाएगी।

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काशी विश्वनाथ धाम के कॉरिडोर का लोकार्पण किया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की वास्तुकला, भारतीय संस्कृति की महागाथा आदि के बारे में आप सब जानते हैं। मैं यहां अलग हटकर बात कर रहा हूँ। इतनी सारी भूमिका जो बांधी है, उसका कारण है आगरा और काशी विश्वनाथ का संबंध जोड़ना। यह भी एक फोटो से विचार आया है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लोकार्पण के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कारीगरों के साथ पंक्ति में बैठकर भोजन किया। जो भोजन और थाली कारीगरों को वही भोजन और थाली प्रधानमंत्री को। अब आगरा पर आते हैं। किंवदंती है कि शाहजहां ने 1632-1653 के बीच आगरा में ताजमहल बनवाने वाले कारीगरों के हाथ कटवा दिए थे ताकि दूसरा ताजमहल न बन सके और आज 13 दिसम्बर, 2021 को काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार करने वाले कारीगरों के साथ प्रधानमंत्री ने भोजन किया। यह है भारतीय संस्कृति। यह है कारीगरों के प्रति श्रद्धाभाव। करीब 2500 कारीगर मार्च, 2018 से काम कर रहे थे।

यह वही काशी विश्वनाथ धाम है, जिसे क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 को एक फरमान जारी कर ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इसके बाद मंदिर गिराकर मस्जिद तामीर करा दी थी। 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। महारानी ने 1783 में सोमनाथ मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया था। सोमनाथ धाम का जीर्णोद्धार सरकारी स्तर पर 1951 में पूर्ण हुआ था। आज इस मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है। गुजरात में सोमनाथ धाम के पुनरुद्धार के बाद उत्तर प्रदेश में काशी विश्वनाथ धाम का पुनरुद्धार सरकारी स्तर पर किया गया है।

ताजमहल बनवाने वाले कारीगरों के हाथ काटने की बात ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित हो या नहीं, लेकिन ताजमहल के दर्शन कराने वाले गाइड यह कहानी अवश्य सुनाते हैं। ताजगंज में यह बात बच्चा-बच्चा जानता है। कहते हैं कि ताजमहल में पच्चीकारी करने वाले कारीगरों को कटरा फुलेल, कटरा रेशम, कटरा जोगीदास, कटार उमर खां में बसाया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इन कटरों के द्वार भी संरक्षित किए हुए हैं। यह बात अलग है कि द्वार दिन-ब-दिन खराब हो रहे हैं। इन कटरों में अब कारीगर नहीं रहते हैं। भारत विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आए तमाम लोगों को इन कटरों में आवास दिया गया।

प्रधानमंत्री ऐसा अद्भुत काम करेंगे, कई सोच भी नहीं सकता है। मैंने कई प्रधानमंत्रियों के कार्यक्रम कवर किए हैं।

प्रधानमंत्री के पहुंचने से पहले ही उनके जलपान और भोजन का चार्ट जिलाधिकारी के पास आ जाता है। काशी में तो जो कारीगरों का भोजन, वही प्रधानमंत्री का भोजन। है न अचरज भरी बात। अपने अधिकांश कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री ऐसा कर जाते हैं या ऐसा कह जाते हैं कि चर्चा होने लगती है।

24 फरवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुंभ मेले में पांच सफाई का काम करने वाले पांच सफाईकर्मियों के पैर धोए थे। सफाई कर्मचारियों को कुर्सी पर बैठाया गया था। खुद पट्टे पर बैठे थे। सफाई कर्मचारियो को अंग वस्त्र भेंटकर सम्मानित भी किया था। मुझे याद आता है कि द्वापर युग में कृष्ण ने सुदामा के पांव प्रक्षालित किए थे। कृपया यह कहकर विवाद खड़ा न करें कि मैंने नरेन्द्र मोदी को कृष्ण बताया है पर इसमें कई शक नहीं है कि वे कृष्ण की नीति पर चल रहे हैं। समाज और देश के लिए घातक लोगों को उनकी सही ‘ठिकाने’ पर पहुंचा रहे हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंह
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)


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