पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह प्रांत के शहर दर्रा आदम खेल में बंदूक और पिस्तौलें तैयार की जाती हैं। इसे दुनिया का सबसे बड़ा गैरकानूनी बंदूक बाजार भी कहा जाता है। एक नजर इस बाजार पर।
दशकों से चल रहा कारोबार
तस्वीर में नजर आ रहे ये कारीगर अपने हाथों से बंदूकों को बनाते हैं। बंदूक और पिस्तौल बनाने का काम यहां कई दशकों से चला आ रहा है। कारीगर एक-दूसरे से सीखते-सिखाते हुए सफाई से काम कर लेते हैं।
दुनिया भर का माल
बेहद ही सफाई से यहां चीनी, यूरोपीय और अमेरिकी पिस्तौलों की कॉपी की जाती है। पूरे पाकिस्तान में यहां बनने वाली पिस्तौलों और बंदूकों की बहुत मांग हैं।
नई पीढ़ियां भी लगी
रोजगार के कम होते अवसरों के चलते अब बाप-दादाओं के इस काम को नई पीढ़ियां भी अपना रही है। हालांकि उन्हें सरकार से किसी भी प्रकार का सहयोग और संरक्षण नहीं मिलता है।
पूरा मुल्क देता है ऑर्डर
दर्रा आदम खेल के कुछ कारीगरों का काम पूरे पाकिस्तान में मशहूर है। यहां तक कि इन्हें पूरे मुल्क से बंदूक बनाने के ऑर्डर मिलते हैं।
पुरानी मशीनों पर काम
इन कारीगरों के पास आधुनिक मशीनें नहीं हैं इसलिए पुराने मशीनों से काम चलाना इनकी मजबूरी है। हालांकि क्वालिटी में कोई फर्क कमी नहीं हैं।
कानूनी पेचीदगियां बनीं बाधा
पड़ोसी देशों के लोग यहां की बंदूकों और पिस्तौलों को खरीदने की इच्छा जताते हैं, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते इन्हें खरीद पाना आसान नहीं है।
इंडस्ट्री की कोशिश
राज्य का चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज दर्रा आदम खेल में बनने वाली पिस्तौलों को बेचने के लिए प्रदर्शनी लगाती है ताकि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक इनकी पहुंच हो सके।
कारतूस और गोलियां भी
ऐसा नहीं है कि इस इलाके में सिर्फ पिस्तौलें और बंदूके ही बनती है, बल्कि यहां कारतूस और गोलियां का भी बाजार बहुत बड़ा है।
ऑटोमैटिक बंदूकें
इस बाजार में पिस्तौलों के अलावा ऑटोमैटिक बंदूकें भी तैयार की जाती हैं। कारीगरों का दावा है ये ऑटोमैटिक बंदूकें विदेशी बंदूकों का मुकाबला कर सकती हैं।
हिफाजत का सामान
इसी बाजार में बंदूकों को बनाने के साथ-साथ उनकी हिफाजत के लिए चमड़े के कवर भी तैयार किए जाते हैं। इस इंडस्ट्री से भी सैंकड़ों लोग काम कर रहे हैं।
मेड ऐज चाइना
यहां बनने वाली बंदूकों पर मेड इन चाइना (चीन में बनने वाली) की जगह, मेड ऐज चाइना (चीन जैसी बनने वाली) का टैग लगा होता है।
-एजेंसियां
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