आगरा: कार्तिक पूर्णिमा पर बटेश्वर में लाखों श्रद्धालुओं ने यमुना में लगाई आस्था की डुबकी, गूंजे बम बम भोले के जयकारे

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आगरा जनपद के बाह क्षेत्र के यमुना नदी किनारे बसा उत्तर भारत के प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थराज बटेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा पर दूर दराज से पहुंचे लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मोक्षदायिनी यमुना में आस्था की डुबकी लगाकर भगवान भोले पर जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

आपको बता दें जानकारी के अनुसार तीर्थ धाम बटेश्वर में लगने वाले उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध लोक मेले के दौरान कार्तिक पूर्णिमा पर मुख्य स्नान यमुना नदी में किया जाता है। जहां गुरुवार देर शाम से ही दूरदराज से पहुंचे लोगों ने डेरा जमा लिया था। गुरुवार मध्यरात्रि बाद बटेश्वर के मुख्य मंदिर भगवान भोलेनाथ ब्रह्म लाल महाराज मंदिर के पट श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोल दिए गए। मध्य रात्रि बाद ही दूर दराज से पहुंचे श्रद्धालुओं का स्नान यमुना नदी के घाटों पर शुरू हो गया था।

शुक्रवार सुबह कई राज्यों से पहुंचे लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने यमुना नदी में कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डुबकी लगाई। और यमुना नदी किनारे श्रंखला वृद्ध बने दर्जनों मंदिरों में भगवान शिव के शिवलिंग पर जलाभिषेक कर विधिवत पूजा की और अपने परिवार की सुख समृद्धि कामना कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

नागा साधुओं ने पांचवें महाकुंभ के लिए किया दूसरा शाही स्नान

तीर्थ धाम बटेश्वर में कई अखाड़ों के साधु संतो ने पूर्णिमा के मौके पर दिगंबर निर्मोही अखाड़े के महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 बाबा बालक दास के सानिध्य में बैंड बाजों के धुन पर बटेश्वर तीर्थ की सप्तकोषीय परिक्रमा की और तलवार बाजी गदा बाजी, अस्त्र शस्त्रों का प्रदर्शन कर करतब दिखाते हुए यमुना किनारे रानी घाट पहुंचे जहां नागा साधुओं सहित सैकड़ों साधु संतों ने लोक कल्याण के लिए यमुना में शाही स्नान किया और भगवान भोले की विधिवत पूजा अर्चना की साधु संतों के विशेष दर्शनों के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा।

महामंडलेश्वर बाबा बालक दास के नेतृत्व में कई वर्षों से तीर्थ धाम बटेश्वर में साधु संतों का शाही स्नान होता चला आ रहा है। तीर्थ धाम बटेश्वर को पांचवें महाकुंभ का दर्जा दिलाने एवं लगाने की लगातार मांग चली आ रही है। महामंडलेश्वर बाबा बालक दास ने आगरा के तीर्थराज बटेश्वर को पांचवें महाकुंभ का दर्जा दिलाने की मुहिम छेड़ रखी है। जिसे लेकर दूसरा शाही स्नान किया गया वही तीसरा साधु संतों का शाही स्नान दौज को किया जाएगा ।

तीर्थ के मेला परिसर में चारों तरफ हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ देखी गई। सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात रहा। मुख्य मंदिर सहित अन्य जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए जिनसे पुलिस द्वारा निगरानी की गई। उप जिलाधिकारी बाह सहित क्षेत्र अधिकारी बाह एवं कई थाना क्षेत्रों के थानाध्यक्ष एवं पुलिस फोर्स तैनात रहे।

यमुना नदी किनारे पीएसी गोताखोर रहे तैनात

 

तीर्थ धाम बटेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा पर लाखों की संख्या में दूर दराज से पहुंचे श्रद्धालुओं ने यमुना में डुबकी लगाकर भगवान शिव का जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया। भारी संख्या में उमड़े हुजूम को लेकर यमुना के घाटों पर प्रशासन द्वारा पीएससी 15वी वाहिनी की एक कंपनी प्लाटून तैनात की गई। यमुना नदी किनारे गहरे पानी में जाने से पूरी तरह मनाही थी। लगातार पीएसी के जवान गोताखोर यमुना के घाटों पर मोटर बोर्ड से गस्त करते रहे किसी को भी गहरे पानी में जाने की अनुमति नहीं थी।

बटेश्वर मेला की कैसे हुई शुरुआत

तीर्थ धाम बटेश्वर में 375 वर्ष पुराने प्राचीन उत्तर भारत के प्रमुख मेला श्री बटेश्वर नाथ का आगाज सन 1946 में तत्कालीन भदावर नरेश राजा बदन सिंह ने किया था। लोक कहानी एक के भगवान भोले की कृपा से उनकी लड़की लड़का बन गई थी। इसके बाद महाराज भदावर द्वारा प्राचीन समय में यमुना किनारे श्रंखला वृद्ध 101 भगवान शिव के विशाल मंदिरों का निर्माण कराया था तब से लगातार मेला आयोजन होता चला रहा है।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने का महत्व

पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के मत्स्याअवतार का प्राकट्य हुआ। इस दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का अंत किया था। ऐसे त्रिपुरारी पुर गांव के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पर स्वर्ग लोक से देवता पृथ्वी पर गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। गंगा स्नान या पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है। इसे देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है स्नान करने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को अन्य वस्त्र दान करने से देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन दान करने से कई गुना फलदाई होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवस्थान एवं मंदिरों में दीपक रखने से देवता प्रसन्न होते हैं देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।

– नीरज परिहार