अल्जाइमर और डिमेंशिया दोनों अलग-अलग बीमारियां हैं

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अल्जाइमर और डिमेंशिया यादाश्त से जुड़ी बीमारियां हैं। इनमें पीड़ित व्यक्ति की सोच पर धीरे-धीरे प्रभाव दिखना शुरू होता है और उसके बाद हालात इतने खराब हो जाते हैं कि उसे नियमित काम करने में भी दिक्कत होने लगती है। दोनों ही बीमारियों में व्यक्ति की यादाश्त पर असर पड़ता है लेकिन अल्जाइमर और डिमेंशिया दोनों अलग-अलग बीमारियां हैं।

डिमेंशिया शब्द का इस्तेमाल यादाश्त से जुड़े सभी तरह के प्रभावों को बताने के लिए किया जाता है, जिसमें रोजमर्रा के काम और कम्यूनिकेशन स्किल्स भी शामिल होती हैं। जबकि अल्जाइमर बीमारी डिमेंशिया के तहत आनवाली बीमारियों में सबसे आम बीमारी है।

जब अल्जाइमर बिगड़ने लगता है या कहिए कि सबसे क्रिटिकल स्टेज में पहुंच जाता है तो पेशंट की यादाश्त, भाषा और विचार करने की क्षमता पर इसका बुरा प्रभाव देखा जा सकता है। हालांकि युवाओं में भी डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियां देखी जाती हैं लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ही इन बीमारियों का रिस्क और बढ़ता जाता है। हालांकि इन दोनों बीमारियों के लक्षण ओवरलैप हो सकते हैं, इसलिए इन्हें पहचानना और इनके अनुसार मरीज को सही इलाज देने का काम केवल एक्सपर्ट्स ही कर सकते हैं।

जो खास अंतर हैं

अल्जाइमर और डिमेंशिया और डिमेंशिया में सबसे बड़ा अंतर तो यह है कि डिमेंशिया एक सिंड्रोम है जबकि अल्जाइमर और डिमेंशिया एक डिजीज है। कोई भी सिंड्रोम किसी खास बीमारी के लक्षणों का एक समूह होता है, जिसका अपने आप में कोई निश्चित निदान नहीं होता है। डिमेंशिया लक्षणों का एक ऐसा समूह है, जो मानसिक संज्ञानात्मक कार्यों जैसे यादाश्त और तर्क क्षमता को प्रभावित करता है।

डिमेंशिया एक विस्तृत रूप है, जिसके अंतर्गत अल्जाइमर और डिमेंशिया बीमारी आती है। यह विभिन्न स्थितियों के कारण हो सकता है, जिनमें से सबसे आम अल्जाइमर रोग है।

-एजेंसियां