बड़ा सवाल: हर फोन में जो कॉल रिकॉर्डर के प्रोग्राम पड़े हुए हैं क्या कानूनी रूप से सही हैं?

Cover Story

हाल ही में एक रिपोर्ट आई है कि पेगासस स्पाइवेयर Pegasus Spyware की मदद से भारतीय यूजर्स की जासूसी की जा रही है। 2019 में भी भारत समेत दुनियाभर के 20 देशों में हो रहे पेगासस स्पाइवेयर को लेकर इजरायली स्पाइवेयर निर्माता एनएसओ ग्रुप पर केस दायर किया था। यह स्पाइवेयर आपके फोन पर अटैक करता है और आपकी तमाम जानकारियां, मैसेज और कॉल्स आदि की जासूसी करता है।

इससे मन में एक ख्याल ये आता है कि यह कानूनी तरीके से की जाने वाली फोन टैपिंग जैसा है, या गैर-कानूनी तरीके से किया जाता है।

यहां सवाल ये उठता है कि क्या किसी की भी फोन टैपिंग हो सकती है, अथवा हर फोन में जो कॉल रिकॉर्डर के प्रोग्राम पड़े हुए हैं क्या कानूनी रूप से वह सही हैं?

क्या हम किसी की भी कॉल रेकॉर्ड कर सकते हैं, जो हमसे बात करता है?

आइए समझते हैं फोन टैपिंग और कॉल रेकॉर्डिंग को। साथ ही जानते हैं इसकी बारीकियां।

पहले समझते हैं क्या है फोन टैपिंग

फोन टैपिंग के जरिए राज्य और केंद्र सरकारें या कानूनी एजेंसियां किसी व्यक्ति के फोन पर होने वाली बातचीत की निगरानी करती हैं। वैसे तो किसी की भी बातचीत को इस तरह सुनना या उसे रेकॉर्ड करना पूरी तरह से गैर-कानूनी है क्योंकि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है। हालांकि अगर सरकार या कानूनी एजेंसियों को किसी व्यक्ति पर गैर-कानूनी या देश विरोधी काम में लिप्त होने का शक होता है तो उसकी फोन टैपिंग की जा सकती है। वैसे ये सब इतना आसान नहीं होता। इसके लिए बाकायदा एक कानून बना हुआ है।

कौन से कानून के तहत होता है रेगुलेशन

इंडियन टेलिग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन 5(2) के तहत केंद्र और राज्य सरकारों के पास फोन टैपिंग का अधिकार है। अगर सरकार या किसी कानूनी एजेंसी को लगता है कि आपसे कोई खतरा है तो आपका फोन टैप किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में सरकार राज्य और जन सुरक्षा के हित में किसी की बातचीत को उसे बिना बताए रिकॉर्ड कर सकता है। सामान्य परिस्थिति में किसी की भी बातचीत को उसकी इजाजत के बगैर आर्टिकल 21 के तहत रिकॉर्ड करना गैर कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार आर्टिकल 21 के तहत जीवन का मूलभूत अधिकार दिया गया है और निजता का अधिकार उसका अखंड हिस्सा है।

इसकी कॉल रिकॉर्ड करके उसे सुनाना पड़ेगा महंगा

अक्सर ही ऐसा देखने को मिला है कि लोग उन्हें आने वाली हर कॉल रिकॉर्ड करते हैं। स्मार्टफोन के जमाने में तमाम ऐप्स ने ये बेहद आसान भी बना दिया है। बहुत से लोग तो किसी की कॉल रिकॉर्ड कर के उसे दूसरे को सुनाते भी हैं, लेकिन ध्यान रहे कि ये निजता के अधिकार का उल्लंघन है। अगर आप भी दूसरों की कॉल रिकॉर्ड करते हैं और उसे पता चल जाता है तो वह आपके खिलाफ शिकायत कर सकता है। ऐसे में आप पर कानूनी कार्यवाही तक हो सकती है।

आपकी कॉल रिकॉर्ड हो तो क्या करें?

अगर आपको लगता है कि आपकी बातचीत रिकॉर्ड की जा रही है और इसका इस्तेमाल आपकी प्रतिष्ठा, सुरक्षता या निजता को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है तो आपके पास कई उपाय हैं। इस तरह आपके मूलभूत अधिकार का हनन हुआ है, इसलिए आप मानवाधिकार आयोग से संपर्क कर सकते हैं। या फिर आपको जिस व्यक्ति पर शक है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। वहीं अगर किसी अधिकारी ने केंद्र या राज्य सरकार के निर्देश पर कॉल रिकॉर्ड किया है और किसी ऐसे व्यक्ति को लीक कर दिया, जिसे नहीं करना चाहिए था तो फिर इंडियन टेलिग्राफ एक्ट के सेक्शन 26 (बी) के तहत आरोपी पर केस दायर कर सकते हैं।

-एजेंसियां


Discover more from Up18 News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.