ई-सिगरेट के इस्तेमाल से अस्थमा जैसी फेफड़ों की बीमारियों का बढ़ सकता है खतरा

Health

पारंपरिक सिगरेट के सुरक्षित विकल्प के दावे के साथ पेश की गई ई-सिगरेट से होने वाले नुकसान को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसमें पाया गया कि ई-सिगरेट के इस्तेमाल से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस (श्वसन नली में संक्रमण) जैसी फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।

अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार यह निष्कर्ष ई-सिगरेट और तंबाकू सेवन को लेकर करीब 32 हजार लोगों पर तीन साल तक किए गए एक अध्ययन के आधार पर निकाला गया है।

इस अध्ययन से जुड़े प्रोफेसर स्टैंटन ग्लैंट्ज ने कहा, ‘तंबाकू सेवन को नियंत्रित करने के बाद भी ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वालों में फेफड़ों के रोग का खतरा करीब तीन गुना ज्यादा पाया। इस आधार पर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि ई-सिगरेट भी नुकसानदेह है।’ पूर्व में किए गए अध्ययन में भी ई-सिगरेट और फेफड़ों के रोग के बीच संबंध पाया गया था।

इससे इतर एक अन्‍य अध्ययन में शोधकर्ताओं का दावा है कि जो बच्चे कैंडी और फलों के फ्लेवर वाली ई-सिगरेट का सेवन करते हैं उन्हें अन्य लोगों के मुकाबले ई-सिगरेट की लत लगने की संभावना ज्यादा होती है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया (यूएससी) के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में लास एंजिलिस क्षेत्र में रहने वाले ऐसे 478 किशोरों को लिया जो ई-सिगरेट पीते थे। यही नहीं, वैज्ञानिकों ने साल 2015 से लेकर 2017 तक हर छह महीने बाद उन किशोरों की आदतों का भी अध्ययन किया।

उल्‍लेखनीय है कि भारत में भी सरकार ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने की कवायद कर चुकी है। इस महीने की शुरुआत में ई-सिगरेट को प्रतिबंधित करने वाले विधेयक को राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई थी। यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित किया जा चुका है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के राज्यसभा में पेश किये गये ‘इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय, वितरण, भंडारण और विज्ञापन) प्रतिबंध विधेयक- 2019 को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पास कर दिया गया।

-एजेंसियां


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