Mahakumbh 2025: कुंभ में क्या होता है अखाड़े, जानें इसके प्रकार और कैसे और किसने की थी इसकी शुरुआत

महाकुंभ मेले के अध्यात्मिक माहौल में देशभक्ति का रस घोल रही युवा शक्ति, “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के नारों से गूंज रहा संगम तट

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प्रयागराज। महाकुंभ में मकर संक्रांति स्नान पर्व के दौरान संगम तट पर भारी भीड़ उमड़ी। यहां पर उमड़े श्रद्धालुओं के सैलाब के बीच सामाजिक और राष्ट्रीय एकता की भावनाएँ भी मुखरित दिखाई पड़ रही थीं। पवित्र स्नान में भाग लेने वाले अखाड़ों के साधुओं और संतों के साथ ही अन्य राज्यों से आए श्रद्धालुओं ने विभिन्न स्थानों पर “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम” के नारे लगाकर अध्यात्मिक माहौल में राष्ट्रीयता का रस घोल दिया।

राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत दिख रहे श्रद्धालु

देश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का कुछ ऐसा ही हृदयस्पर्शी दृश्य झारखंड से आए श्रद्धालुओं का एक जत्था प्रस्तुत कर रहा था। इन श्रद्धालुओं ने मेला क्षेत्र में मकर संक्रांति स्नान पर्व पर प्रयागराज के महाकुम्भ मेले में पहुंचे मनोज कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में अपने हाथों में तिरंगा थामे संगम की ओर बढ़ते समय ‘भारत माता की जय’, और ‘वंदे मातरम’ नारे लगाए। उनके जत्थे में मौजूद सभी सदस्य उत्साह के साथ नारे लगाते दिखाई दिए। मनोज के साथ स्नान करने महाकुम्भ मेले में पहुंचा 55 लोगों का यह जत्था काफी प्रफुल्लित दिखाई दिया।

साफ सफाई से दिख रहे प्रभावित

मनोज ने कहा कि महाकुम्भ पर्व हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। इस अवसर पर उन्होंने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज थामकर और राष्ट्र प्रेम के नारे लगाकर राष्ट्रीय एकता का संदेश प्रसारित किया। मनोज ने इस मौके पर महाकुम्भ मेले में स्नान के दौरान साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाओं की तारीफ की। उनके साथ आए श्रद्धालुओं ने भी कुम्भ स्नान के लिए की गई व्यवस्थाओं की तारीफ की। वह कुंभ मेला क्षेत्र में की गई सुंदर व्यवस्थाओं को देखकर अचंभित थे। उन्होंने कहा कि कोई भी इस पवित्र स्थान पर सहज ही आध्यात्मिकता की अनुभूति कर सकता है।


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