आजकल की जीवनशैली को देखते हुए YOGA करना न सिर्फ बड़ों बल्कि, बच्चों के लिए काफी फायदेमंद है। यह आपके मानसिक व शारीरिक विकास दोनों में अहम भूमिका निभाता है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है, जो बच्चों को कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है। हर साल 21 जून को विश्वभर में YOGA दिवस मनाया जाएगा।
डिप्रेशन जैसी गंभीर बीमारियों से रखता दूर
हालिया रिसर्च के मुताबिक बदलती जीवनशैली के चलते आज स्कूल जाते छोटे बच्चे भी तनाव का शिकार हो रहे हैं। उनमें डिप्रेशन जैसे गंभीर मानसिक बीमारी के लक्षण देखने के लिए मिलते हैं। मगर YOGA के जरिए बच्चों को कम उम्र से इस समस्या से लड़ने के लिए तैयार किया जा सकता है।
सेल्फ अक्सेप्टेंस जैसी खूबी से होती पहचान
इससे बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है और पैरंट्स के साथ करने से वह उनके और करीब आ पाते हैं। अपनी फीलिंग्स खुलकर आसानी से शेयर कर पाते हैं। योग से बच्चे सेल्फ अक्सेप्टेंस सीखते हैं जो उनके आगे काफी काम आता है। उन्हें अपने शरीर की कमियों और शक्तियों की पहचान होती है, जिससे वह जैसे हैं उसे स्वीकार करने में आसानी होती है। यह टीनेज और उसके बाद भी उनके लिए फायदेमंद साबित होती है।
एकाग्रता बढ़ती है, चिड़चिड़ापन होता दूर
YOGA बच्चों को काफी कम उम्र से ही एक्टिव बनाने के साथ ही हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने की सीख देता है। आज के डिजिटल युग में बच्चों का ध्यान भटकाने के लिए कई गैजट्स मौजूद हैं मगर योग की मदद से वह किसी काम पर फोकस करना सीखते हैं। प्राणायम के जरिए वह अपनी बॉडी को बारीकी से समझना शुरू करते हैं, जिससे उनकी एकाग्रता बढ़ती है। इसके साथ ही छोटी-छोटी चीजों को लेकर रोना और चिड़चिड़ेपन में भी कम आती है।
बच्चे कॉन्फ़िडेंट और रिस्पॉन्सिबल बनते हैं
योग करने से बच्चों का जीने का नजरिया ही बदल जाता है जिससे उनमें आत्मविश्वास और जवाबदेही की समझ बढ़ती है। इसके लिए जानकारों की मानें तो 7-8 साल की उम्र से ही बच्चों को योग कराने की शुरुआत की जा सकती है। उत्तानसन, बुधकोनासन, भुजंगासन, ताड़ासन से योग अभ्यास शुरू किया जा सकता है। इनसे बच्चों के मसल्स मजबूत होते हैं, तनाव दूर होता है और बॉडी बैलेंस करना बच्चे आसानी से सीख पाते हैं।
हमेशा YOGA बच्चों को अपने साथ कराएं
मगर इस बात का खास ध्यान रखें कि बच्चे कभी भी अकेले में योग न करें। उनके साथ कोई योग टीचर व आप साथ में जरूर होने चाहिए। अगर कभी उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी महसूस हो तो लापरवाही न बरतें, तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। इस तरह योग से उनकी दोस्ती हो जाएगी और वह इसके फायदे समझते हुए बिना किसी दबाव के अपनी खुशी से करना पसंद करेंगे।
हाइपर ऐक्टिव बच्चे बनते शांत और स्मार्ट
इसके लिए शुरुआत में जो आसन करने में उनकी रुचि हो और जिसे वह आसानी से कर पाएं उसे ही 10-15 मिनट के लिए कराएं। ऐसे धीरे-धीरे आप उनका योग सेशन 60 मिनट तक के लिए भी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा कुछ बच्चे काफी हाइपर ऐक्टिव होते हैं उनके लिए प्राणायम जैसे आसन कराना फायदेमंद रहता है। उनका चंचल मन शांत होता है और वह पढ़ाई में भी काफी अच्छा करके दिखाते हैं।
-एजेंसी