प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) [भारत], 30 दिसंबर: आध्यात्मिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक अभूतपूर्व अध्याय जुड़ गया जब संगम विहार, सेक्टर 22, झूंसी, प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना के लिए भूमि पूजन संपन्न हुआ। यह यंत्र पूर्ण महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से आने वाले 40 करोड़ श्रद्धालुओं के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बनेगा, जिसमें पर्यावरण और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। भूमि पूजन कार्यक्रम विधिवत रूप से सम्पन्न हुआ जिसमें उत्तर प्रदेश विधान परिषद के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह, पीठाधीश्वर सिद्ध महामृत्युंजय संस्थान स्वामी सहजानंद सरस्वती , सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र संस्थान की चेयरपर्सन परम पूज्य सद्गुरु मां उषा जी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज, और महामंडलेश्वर परम पूज्य रामेश्वरानंद जी महाराज सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही।
52 अक्षरों के महामृत्युंजय मंत्र से प्रेरित, यह अद्वितीय 3-डी यंत्र 52 फीट लंबा, 52 फीट चौड़ा और 52 फीट ऊंचा होगा। इसे 151 विद्वान पंडितों द्वारा 8,00,000 महामृत्युंजय मंत्रों के जाप से अभिमंत्रित किया जाएगा। यह यंत्र न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र होगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में सकारात्मकता का संचार करेगा।
सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र संस्थान के पीठाधीश्वर परम पूज्य स्वामी सहजानंद सरस्वती ने यंत्र की गहराई और इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह यंत्र मानव और ब्रह्मांड के बीच के आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक है। महामृत्युंजय मंत्र के 52 अक्षर हमारे जीवन और ब्रह्मांड के मूलभूत तत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं।”
स्वामी जी ने बताया, “यह यंत्र केवल शारीरिक रोगों का निवारण नहीं करेगा, बल्कि मानसिक प्रदूषण को भी दूर करेगा। आज के समय में तनाव, अवसाद और सामाजिक असहमति जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। यह यंत्र हर व्यक्ति के लिए सकारात्मकता का स्रोत बनेगा और समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगा।”
उन्होंने इस यंत्र को ‘आध्यात्मिक रिफ्रेशर’ बताते हुए कहा, “जिस प्रकार कंप्यूटर को रीफ्रेश किया जाता है, उसी प्रकार इस यंत्र के दर्शन मात्र से किसी भी व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी और उसे एक नई ऊर्जा प्राप्त होगी। यह यंत्र समाज को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ्य प्रदान करेगा।”
सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र संस्थान की चेयरपर्सन परम पूज्य सद्गुरु मां उषा जी ने कहा, “यह यंत्र केवल एक आध्यात्मिक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा स्रोत बनेगा। इसे वर्षों के शोध के बाद तैयार किया गया है, जिसमें वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को ध्यान में रखा गया है।”
महाकुंभ 2025 का प्रमुख आकर्षण
पूर्ण महाकुंभ 2025 में यह महामृत्युंजय यंत्र श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा। यहां नियमित रूप से रुद्राभिषेक और अतिरुद्र यज्ञ आयोजित किए जाएंगे, जिससे आध्यात्मिक वातावरण और अधिक प्रभावशाली बनेगा।
विश्वव्यापी पहल
प्रयागराज में इस यंत्र की स्थापना के बाद इसे भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों और विश्व के 132 देशों में स्थापित करने की योजना है। इस पहल का उद्देश्य आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश पूरी दुनिया में फैलाना है।
भविष्य के लिए दृष्टिकोण
कार्यक्रम के अंत में परम पूज्य सद्गुरु मां उषा जी ने मीडिया और उपस्थित श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “यह यंत्र केवल भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा। मैं सभी से आग्रह करती हूं कि वे इस यंत्र के दर्शन करें और इसके महत्व को जन-जन तक पहुंचाएं।” यह महामृत्युंजय यंत्र प्रयागराज को वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा और श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करेगा। इसके उद्घाटन की प्रतीक्षा देश-विदेश में बेसब्री से की जा रही है।
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