विश्व महिला दिवस: आगरा की दो महिलाएं जिन्होंने अपने काम से बनाई अलग पहचान

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राजनीति से लेकर साइंस, कला, संस्कृति और भी कई दूसरे क्षेत्रों में अपना योगदान दे रही महिलाएं

आगरा. आज विश्व महिला दिवस है। महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के मकसद से पूरे संसार में इस दिवस को मनाया जाता है। राजनीति से लेकर साइंस, कला, संस्कृति और भी कई दूसरे क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है। आज हमारे बीच में भी कुछ ऐसी महिलाएं है जिन्होंने अपने दम पर अलग मुकाम हासिल किया है। उनमें से एक आगरा पुलिस की जांबाज एएसपी सुकन्या शर्मा (आईपीएस) है जिन्होंने अपराधियों के छक्के छुड़ा दिए है तो वहीं दूसरी ओर आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव जिन्होंने अपनी इनोवेटिव आइडिया से मालगाड़ी के संचालन में समय की बचत के साथ ही वैगन से माल लोड करने और उतारने के लिए कन्वेयर बेल्ट पर बेहतरीन कार्य किया गया और अपने इनोवेटिव आइडिया से रेलवे के राजस्व में वृद्धि करवाई।

एएसपी सुकन्या शर्मा एक साधारण परिवार से है। पिता वकील थे लेकिन बेटी को चिकित्सक के रूप में देखना चाहते थे और उसे डॉक्टर बनाने के लिए निकल पड़े लेकिन उनका सपना तो कुछ और था। वह पुलिस अफसर बनकर देश सेवा करना चाहती थी। पिता मायूस न हो इसलिए उन्होंने पहले पिता के सपने को पूरा किया। होम्योपैथिक डॉक्टर बनी फिर अपने सपने को हकीकत में बदलने के लिए निकल पड़ी।

BHMS के साथ साल 2016 में उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया। जब पिता को पता चला कि बेटी डॉक्टर के साथ-साथ सिविल सर्विस में भी खूब मेहनत कर रही है तो पिता भी बेटी की मेहनत और लगन के आगे झुक गए। सुकन्या शर्मा ने दिल्ली पहुंचकर बाजीराव में 1 साल तैयारी की। 2017 में उन्होंने प्री का एग्जाम दिया। जून 2018 में मेंस पास किया और इसी साल सितंबर के महीने में इंटरव्यू क्लियर किया। 1 साल की मेहनत रंग लाई और वे बतौर डीएसपी के पद पर काबिज हुई।

ये महिला पुलिस अफ़सर जो अब लेडी सिंघम के नाम से आगरा में फ़ेमस है जिसने UP की पहली महिला SOG टीम तैयार की और अपने काम से पूरे पुलिस महकमे में छा गई। आगरा की तेज तर्रार ,यंग, टैलेंटेड और बेहद खूबसूरत पीपीएस अधिकारी सुकन्या शर्मा की कहानी जो महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन रही हैं।

उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) के आगरा मंडल में तैनात वाणिज्यिक प्रबंधक प्रशस्ति श्रीवास्तव ने भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। उन्हें रेलवे का सर्वोच्च अति विशिष्ट रेल सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव 2017 बैच की आईआरटीएस अधिकारी है।

गोरखपुर की मूल निवासी प्रशस्ति श्रीवास्तव के पिता प्रमोद कुमार श्रीवास्तव सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उनकी पढ़ाई कई शहर में हुई। प्रशस्ति श्रीवास्तव ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई एटा के सेंटपॉल स्कूल से की। फिर ग्रेटर नोएडा स्थित विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इसके बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की। प्रशस्ति श्रीवास्तव की पहली च्वाइस आईएएस थी। आईपीएस और इनकम टैक्स के बाद उनकी चौथी पसंद आईआरटीएस थी। उनका कहना है कि उनकी इस उपलब्धि पर उनके माता-पिता को गर्व है। पुरुष प्रधान देश में महिलाओं का आगे बढ़ना संकेत है कि भारत विकसित राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने अपनी इनोवेटिव आइडिया से मालगाड़ी के संचालन में समय की बचत के साथ ही वैगन से माल लोड करने और उतारने के लिए कन्वेयर बेल्ट पर बेहतरीन कार्य किया। उनके इस इनोवेटिव आइडिया से रेलवे की राजस्व में जबरदस्त वृद्धि हुई।


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