विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस: खांसी-जुकाम की तरह मानसिक समस्याओं का भी है उपचार

Health

– मानसिक तनाव होने पर चिकित्सक से करें संपर्क

– टेलीमानस हेल्पलाइन नंबर- 14416 पर कर सकते हैं कॉल

– 10 सितंबर को जनपद में मनाया जाएगा विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस

आगरा: मंगलवार को जनपद में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर आत्महत्या की रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करने के लिए जनपद में विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि प्रत्येक वर्ष 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। जनपद में 10 से 16 सितंबर तक विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह मनाया जाएगा। इसके तहत जनपद में पूरे सप्ताह विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. पियूष जैन ने बताया कि विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह के दौरान स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों एवं कोचिंग संस्थानों में आत्महत्या के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही गत वर्ष शुरू हुए लेट्स टॉक अभियान के अंतर्गत किशोर-किशोरियों एवं बच्चों के मानसिक स्वास्त्य के लिए शैक्षणिक संस्थानों में अभियान भी संचालित किया जाएगा।

जिला अस्पताल की नैदानिक मनोवैज्ञानिक ममता यादव ने बताया कि मानसिक समस्या किसी को भी हो सकती है, इसका भी खांसी, बुखार सहित अन्य बीमारियों की तरह उपचार उपलब्ध है। यदि किसी को मानसिक तनाव हो तो वह टेली मानस हेल्पलाइन नंबर 14416 पर कॉल करके अपनी समस्या बता सकते हैं। टेलीमानस का उद्देश्य पूरे देश में चौबीसों घंटे निःशुल्क टेली मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। इसमें 24 घंटे काउंसलर उपलब्ध रहते हैं, जो काउंलिंग करते हैं। यहां पर कॉल करने वाले लोगों की पहचान को गोपनीय रखा जाता है।

ममता यादव ने बताया कि यदि किसी को काम में मन न लगना, लगातार तनाव रहना, अकेले रहना, जीवन समाप्त करने के विचार आना जैसी समस्या आएं तो जिला अस्पताल के कमरा नंबर 202 और 203 में परामर्श ले सकते हैं। उन्होंने लोगों को आत्महत्या प्रवृति और मानसिक समस्याओं के प्रति जागरुक होने की आवश्यकता है। यदि आपके आस-पास कोई आम से भिन्न व्यवहार करने लगे, जैसे- सामाजिक जीवन से कटना, सोशल मीडिया से अचानक दूर होना, लगातार अकेले रहना तो सचेत हो जाएं और उससे बात करने का प्रयास करें। उन्हें सुनें और अपने आसपास के नैदानिक मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक को दिखाएं।

तीन महीने तक लगातार दिखें ये लक्षण तो हो जाएं सचेत

– घबराहट होना ।
– किसी काम में मन न लगना।
– अकेले रहना।
– किसी से मिलने का मन न करना।
– मन उदास रहना।
– सब कुछ खत्म हो गया जैसे विचार आना।