आज Leprosy डे है। यानी कुष्ठ रोग को समर्पित दिन। ताकि लोगों के बीच इस बीमारी को लेकर जागरूकता बढ़े और लोग इसके इलाज को महत्व दें ना कि इसे कोई शाप समझें। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बीमारी का जिक्र मेडिकल क्षेत्र में बहुत पहले से देखने को मिलता है।
प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के जानकार इस बात से भलीभांति अवगत हैं कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण भगवान के बेटे सांब को कोढ़ी हो जाने का शाप मिला था। यानी कुष्ठ रोगी बन जाने का शाप। इसलिए हमारी सोसायटी में लंबे वक्त तक इस बीमारी को शाप या भगवान द्वारा दिया गया दंड माना जाता रहा लेकिन ऐसा है नहीं। कुष्ठ रोग या कोढ़ की बीमारी ठीक हो सकती है। यह हर व्यक्ति की कंडीशन पर निर्भर करता है कि उसे ठीक होने में कितना वक्त लगेगा या उसकी बीमारी लाइलाज होने के स्तर पर पहुंच चुकी है।
Leprosy किस तरह की बीमारी है?
Leprosy एक ऐसी बीमारी है जो हवा के जरिए फैलती है। Leprosy को हैनसेन रोग भी कहा जाता है। यह बीमारी बहुत धीमी रफ्तार से ग्रो होने वाले बैक्टीरिया से फैलती है इसलिए पूरी तरह इसके लक्षण सामने आने में कई बार 4 से 5 साल का समय भी लग जाता है। जिस बैक्टीरिया के कारण यह बीमारी फैलती है, उसे माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रै कहा जाता है। इसी कारण इस बीमारी का इंग्लिश नेम Leprosy रखा गया।
क्या Leprosy कॉमन डिजीज है?
Leprosy, कुष्ठ रोग या कोढ़। यह एक ऐसी बीमारी है जिस पर आज दुनिया के अधिकतर देश कंट्रोल कर चुके हैं लेकिन केन्या जैसे कुछ देशों में आज भी Leprosy भयावह स्थिति में देखने को मिलती है। एक वक्त में यह दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारी मानी जाती थी लेकिन अब इस दिशा में मेडिकली कई सावधानियां और वैक्सीन्स हैं, जो बॉडी को इससे बचाती हैं।
क्या यह छुआछूत की बीमारी है?
Leprosy यानी कोढ़ एक ऐसी बीमारी है जो हवा में मौजूद बैक्टीरिया के जरिए फैलती है। हवा में ये बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं इसलिए इसे संक्रामक रोग भी कहते हैं। यानी यह संक्रमण या कहिए कि सांस के जरिए फैलती है लेकिन यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है।
अगर आप इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाएंगे या उसे छू लेंगे तो आपको यह बीमारी बिल्कुल नहीं होगी लेकिन अगर उसके खांसने, छींकने से लेप्रै बैक्टीरिया हवा में मौजूद नमी के साथ ट्यूनिंग करके खुद को डिवेलप कर लेता है और आप उस हवा में सांस लेकर नमी के उन कणों को अपने अंदर ले लेते हैं तो इस तरह की स्थितियां बन जाती हैं कि आप इस बीमारी से संक्रमित हो जाएं।
जरूर समझें यह अंतर
वैसे तो आमतौर पर संक्रमण यानी इंफेक्शन और छुआछूत यानी टचेबिली को एक ही तरह के रोग माना जाता है लेकिन इनमें जो हेयरलाइन डिफरेंस यानी बहुत बारीक अंतर होता है, वो यह है कि संक्रामक रोग श्वांस और हवा के जरिए फैलते हैं जबकि छुआछूत की बीमारी एक-दूसरे को छूने और एक-दूसरे की इस्तेमाल की गई चीजों को उपयोग में लाने से होती है। कुछ रोग ऐसे होते हैं जो सांस और छुआछूत दोनों से फैलते हैं। यह तभी होता है जब बीमारी फैलाने वाले बैक्टीरिया उस सामान पर अपनी पकड़ बना लेते हैं या ग्रो कर चुके होते हैं, जिसे एक स्वस्थ व्यक्ति इस्तेमाल में ले रहा है।
Leprosy के लक्षण
Leprosy या कोढ़ के दौरान हमारे शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं। ये निशान सुन्न होते हैं यानी इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है। अगर आप इस जगह पर कोई नुकीली वस्तु चुभोकर देखेंगे तो आपको दर्द का अहसास नहीं होगा। ये पैच या धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर होने शुरू हो सकते हैं, जो ठीक से इलाज ना कराने पर पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं।
ठंडे गर्म का पता नहीं चलता
सिर्फ चुभन ही नहीं बल्कि Leprosy के मरीज को शरीर के विभिन्न अंगों और खासतौर पर हाथ-पैर में ठंडे या गर्म मौसम और वस्तु का अहसास नहीं होता है। प्रभावित अंगों में चोट लगने, जलने या कटने का भी पता नहीं चलता है। जिससे यह बीमारी अधिक भयानक रूप लेने लगती हैं और शरीर को गलाने लगती है।
पलक नहीं झपकतीं
Leprosy के मरीज को पलक झपकने में दिक्कत होने लगती है क्योंकि लेप्रै बैक्टीरिया मरीज की आंखों की नसों पर हावी होकर उनके सेंसेशन और सिग्नल्स को प्रभावित करता है। ऐसे में मरीज को पलक झपकने की याद नही आती और पलक झपक भी नहीं पाती। इससे हर समय खुला रहने के कारण आंखें ड्राई होने लगती हैं और हमारी देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। आंखों से संबंधित कई रोग पनपने लगते हैं।
सावधानियां
अगर आपके घर में या आस-पास कोई इस तरह का व्यक्ति है, जिसकी आंखों में लगातार पानी आ रहा हो, हाथ पैर में छाले हो रहे हों, शरीर के कुछ हिस्से में गर्म-ठंडे का अहसास नहीं हो रहा हो या शरीर में सुन्नता बढ़ रही हो। ऐसी स्थिति में बिना देरी के तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर Leprosy या कुष्ठ रोग का पता प्रारंभिक अवस्था में ही चल जाता है और इसका सही तरीके से इलाज कराना शुरू कर दिया जाता है तो 6 महीने से लेकर डेढ़ साल के अंदर इस बीमारी को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है।
इलाज
Leprosy का इलाज संभव है लेकिन घर पर नहीं। इसका इलाज किसी भी अच्छे डॉक्टर से कराएं। जान लीजिए अच्छे डॉक्टर का मतलब मोटी फीस वसूलने वाले डॉक्टर से कतई नहीं है। अपने इलाज के लिए जरूरी नहीं है कि आप उस डॉक्टर का ही चुनाव करें, जिसके पास भीड़ अधिक रहती है…आपको ऐसा डॉक्टर चुनने की जरूरत है जो आपकी बीमारी को दूर कर सके इसलिए जिंदगी के किसी दूसरे हिस्से के साथ ही सेहत और इलाज के मामले में भेड़ चाल ना चलें और भीड़ का हिस्सा ना बनें। बीमारी को लेकर अपनी जानकारी बढ़ाएं और बीमारी से संबंधित मन में उठने वाली हर शंका को अपने डॉक्टर से सवाल पूछकर दूर करें।
एक अच्छा डॉक्टर वही होता है, जो अपने मरीज की बीमारी दूर करने के साथ ही उसकी शंकाओं और भावनाओं को समझते हुए उसका इलाज करे। साथ ही उसके इलाज से मरीज को फायदा भी हो। तो मिल गया ना आपको अपने लिए अच्छा और सही डॉक्टर चुनने का एक तरीका!
-एजेंसियां