World Environment Day: दिखावटी चिंता जताने से ज्यादा है जागरूकता की जरूरत

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आज 05 जून के दिन World Environment Day मनाया जाता है। प्रदूषण का हमारे शरीर पर कितना बुरा असर होता है इस बारे में कई स्टडीज सामने आ चुकी हैं, लेकिन हाल ही में एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि देश में हर साल एक लाख बच्चों की पांच साल की उम्र पूरी करने से पहले ही प्रदूषण के कारण मौत हो जाती है।

सीएसई (सेंटर ऑफ साइंस एंड इन्वाइरनमेंट) की रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल 1 लाख बच्चे खराब हवा की वजह से पांच साल की जिंदगी भी नहीं जी पा रहे हैं।

वायु प्रदूषण से देश में 5 साल से कम उम्र के हर 10,000 बच्चों में औसतन 8 से ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है। लड़कियों में यह अनुपात और भी ज्यादा है। प्रत्येक वर्ष हर 10 हजार लड़कियों में औसतन 9 से ज्यादा लड़कियां पांच साल की होने से पहले ही प्रदूषण की वजह से दम तोड़ रही हैं।

कर्नाटक, तेलंगाना और केरल में सबसे ज्यादा जल प्रदूषण

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 86 वॉटर बॉडीज खतरनाक प्रदूषण की चपेट में हैं। इसमें से सबसे ज्यादा जल प्रदूषण कर्नाटक, तेलंगाना और केरल में हैं। 2011 से 2018 के बीच इन राज्यों में प्रदूषित इंडस्ट्री की संख्या करीब 136 पर्सेंट बढ़ी है। 24 घंटे चलने वाले पब्लिक हेल्थ सेंटर में 35 फीसदी तक कमी आई है। भारत की बड़ी समस्या सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट हैं। पिछले 3 सालों में 22 राज्यों में 79 बड़े प्रदर्शन गंदगी फैलाने वाली लैंडफिल साइट और डंप यार्ड को लेकर हुए हैं। देश में गैस आधारित प्लांट घरेलू प्राकृतिक गैस की कमी के कारण अपनी क्षमता का केवल 24 फीसदी बिजली उत्पादन कर रहे हैं।

स्कूल बना रहे हैं बच्चों को बीमार

कई सर्वें में यह दावा किया जा चुका है कि विश्व के तमाम देशों में दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी है, लेकिन राजधानी के स्कूल और भी अधिक प्रदूषित हैं। क्लीन एयर एशिया ने स्कूलों के प्रदूषण पर स्टडी की है। इसमें दिल्ली के अलावा भुवनेश्वर और नागपुर के स्कूलों को शामिल किया गया है। टेरी स्कूल ऑफ एडवांस स्टडीज में आयोजित बीट एयर पलूशन वर्कशॉप में क्लीन एयर एशिया की प्रॉजेक्ट अफसर प्रेरणा शर्मा ने बताया कि नवंबर में हमने यह स्टडी की थी। स्कूलों के आसपास ट्रैफिक प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देता है। कुछ स्कूलों में प्ले ग्राउंड और बस पार्किंग साथ में है ऐसे में बच्चे सीधे प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। स्कूल टाइमिंग में स्कूलों के आसपास गाड़ियों पर आंशिक प्रतिबंध या कुछ सड़कों को बंद करने का सुझाव दिए गए हैं।

-एजेंसियां


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