अपनी रणनीति से बसपा प्रमुख मायावती ने बुना ऐसा मायाजाल कि NDA और इंडिया गठबंधन के उड़े होश

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लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी लहर रोकने के लिए अखिलेश यादव से लेकर राहुल गांधी समेत तमाम विरोध दल एकजुट हो गए हैं। मायावती पर विपक्षी दल बीजेपी की B टीम होने का आरोप लगाते रहते हैं। हालांकि मायावती ने उन सभी आरोपों को खारिज करते हुए अपनी राजनीति से न केवल सपा और कांग्रेस की मुश्किलें खड़ी की है, बल्कि भारतीय जनता पार्टी को भी खुली चुनौती दे दी है।

बताते चलें कि राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जो मायावती अभी तक बीजेपी सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलने से कतराती थी। वह आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद से खुलकर मैदान में आ गई हैं। अपनी रणनीति से न केवल इंडिया गठबंधन के लिए मुसीबत बन गई है, बल्कि NDA गठबंधन को भी कड़ी चुनौती दे रही है।

मायावती के भतीजे आकाश आनंद बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर मायावती अपने टिकट वितरण से दोनों गठबंधनों को कड़ी टक्कर दे रही है। यहां तक की बहुजन समाज पार्टी ने कई सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को उतार कर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के लिए दिक्कतें पैदा कर दी है।

वहीं सीट के जातीय समीकरण को ध्यान में रखकर ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य जाति के कैंडिडेट उतार कर बीजेपी को कड़ी चुनौती दे दी है। इसका एक उदाहरण जौनपुर सीट है, जहां से बसपा ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी को टिकट देकर बीजेपी को तगड़ा झटका दे दिया है।

बता दें, मायावती ने यूपी की कई सीटों पर ऐसे उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं कि भारतीय जनता पार्टी और NDA गठबंधन के होश फाख्ता हैं। बसपा सुप्रीमो ने शुरुआती लिस्ट में मुस्लिम उम्मीदवारों को उतार कर जहां इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की है। हालांकि जैसे-जैसे मायावती ने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है, उससे साफ लग रहा है कि मायावती ने अभी तक घोषित सीटों में से करीब 12 लोकसभा सीट पर बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।

बसपा ने मथुरा, गाजियाबाद, जौनपुर, लखीमपुरखीरी, मुजफ्फरनगर, बागपत, उन्नाव, अलीगढ़, आजमगढ़, मैनपुरी, मिर्जापुर, अकबरपुर, घोषी, फैजाबाद समेत कई सीट पर अपने कैंडिडेट के जरिए बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। इसके अलावा जिन सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं। वहां सपा और कांग्रेस को झटका देने की कोशिश की है। फिलहाल मायावती को अभी यूपी की कई सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करना बाकी है।

दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण के सहारे माया

जानकारों की मानें तो देश के दलित मतदाताओं ने राजनीति को काफी प्रभावित किया है। आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी ने देश के दलित समाज पर एकाधिकार रखा था। दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण के एक अटूट गठजोड़ ने कांग्रेस पार्टी को मजबूत स्थिति दी थी। बाद में मान्यवर कांशीराम और राज्यों में अलग अलग दलित विचारकों ने इस तरह से काम किया कि जो दलित वोटबैंक कभी एकजुट हुआ करता था वो तितर-बितर हो गया था।

इस चुनाव में भी बसपा सुप्रीमो मायावती अपने दलित वोटबैंक के सहारे बड़ा खेल कर सकती हैं। हालांकि यह बात सच है कि गठबंधन में शामिल होकर मायावती बेहतर चुनाव लड़ सकते थे, लेकिन उन्हें इंतजार लोकसभा चुनाव 2024 का नहीं बल्कि 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव का है। लोकसभा चुनाव 2024 के जरिए मायावती सिर्फ अपना वोट बैंक मजबूत करना चाहती हैं।

-एजेंसी