साल था 2001, नवंबर का महीना। रूस में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कुर्सी पर बैठे हुए थे। मीटिंग चल रही थी और पीछे हाथ बांधे खड़े थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। दो दशक पहले की यह तस्वीर ऐतिहासिक है। ऐसे वक्त में जब यूक्रेन पर रूस हमले कर रहा है और पूरी दुनिया भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ देख रही है, यह पुरानी तस्वीर एक बार फिर वायरल हो गई है।
पुतिन को अंदाजा भी नहीं रहा होगा….
21 साल पहले जब अटल बिहारी वाजपेयी और व्लादिमीर पुतिन मिल रहे थे, उस समय पुतिन को अंदाजा भी नहीं रहा होगा कि एक दिन जो उनके पीछे खड़ा है वह दुनिया के एक प्रभावशाली नेता के रूप में उभरेगा। रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो दुनियाभर के नेता हैरान रह गए। वे इस पर सोच ही रहे थे कि पीएम मोदी ने पुतिन से बातकर भारतीयों को सुरक्षित निकालने की रूपरेखा तैयार कर दी।
पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच अच्छी केमिस्ट्री है और यह बात पूरी दुनिया जानती है। यूक्रेन पर हमले के कुछ घंटे बाद ही पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को फोन मिलाया। उन्होंने भारतीय नागरिकों को यूक्रेन के अलग-अलग शहरों से सुरक्षित निकालने को लेकर चर्चा की। भारत ने यूक्रेन संकट के बीच अपने लोगों को स्वदेश लाने के लिए सबसे बड़ा अभियान ‘ऑपरेशन गंगा’ भी चलाया।
यूक्रेन मोदी की तरफ देख रहा
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने खुद पीएम मोदी से बात की और रूस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने की अपील की। यूक्रेन के राजदूत ने भी भारत के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाते हुए पीएम मोदी से मदद की अपील की।
अमेरिका, यूरोपीय संघ समेत दुनियाभर के देश इस बात को समझ रहे हैं कि पीएम मोदी और रूस के राष्ट्रपति के अच्छे संबंध के चलते यूक्रेन संकट का समाधान निकल सकता है। भारत अपने हितों को तरजीह देते हुए इस दिशा में प्रयास भी कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर आए प्रस्ताव पर वोटिंग से भले ही भारत दूर रहा पर वह लगातार शांति और बातचीत के जरिए संकट का समाधान निकालने पर जोर दे रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति हों या उनके मंत्री पीएम मोदी से उम्मीद लगाए हुए हैं कि वह रूस के राष्ट्रपति पुतिन को हमला रोकने के लिए कहें।
अमेरिका-चीन भी देखते रह गए
दुनिया में सुपरपावर होने का दावा करने वाला अमेरिका हो, चीन या दूसरे देश यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों को बचाने के लिए प्लान ही बनाते रह गए और भारत के जंबो जेट यूक्रेन के पड़ोसी देशों में लैंड करने लगे। एक हफ्ते के भीतर ही मोदी ने दोबारा मॉस्को फोन लगाया और पुतिन से सीधे बात की। पीएम मोदी के इस कदम की वजह से ही यूक्रेन में रूस के हमले के बीच वे लोग आसानी से निकल सके, जिनके हाथों या बसों में भारत का तिरंगा झंडा दिखाई दिया। एक तरफ बमबारी हो रही थी तो दूसरी तरफ तिरंगे झंडे की बदौलत पाकिस्तान और तुर्की के छात्र भी जान बचाकर निकलने में कामयाब हुए।
पीएम मोदी के सीधे पुतिन से बात करने और भारतीय कूटनीति की वजह से ही भारतीय छात्रों का समूह एक-एक कर आसानी से यूक्रेन के पड़ोसी देशों में पहुंचता गया और वहां से उन्हें स्वदेश लाया जा रहा है। यूक्रेन के सुमी में फंसे सैकड़ों भारतीय छात्रों को भी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हें पोल्टोवा के रास्ते पश्चिमी सीमाओं तक पहुंचाने के लिए भारतीय दूतावास की एक टीम पोल्टावा शहर में तैनात की गई है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन्हें स्वदेश लाया जा सकेगा।
वो मुलाकात मोदी भी नहीं भूले
2001 की वो मुलाकात पीएम मोदी भी कभी नहीं भूले। 2019 में जब 20वें भारत-रूस सम्मेलन के लिए पीएम मोदी मॉस्को गए तो उन्होंने चार तस्वीरें ट्वीट की थीं। दो तस्वीरें 2001 की और दो उस समय की थीं। उन्होंने पुतिन के साथ मुलाकात को लेकर रूस की न्यूज़ एजेंसी से कहा था- ‘तब मैं मॉस्को आया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और हमारी यह पहली मुलाकात थी लेकिन पुतिन ने यह आभास नहीं होने दिया कि मैं कम महत्वपूर्ण हूं और एक छोटे राज्य से हूं या नया व्यक्ति हूं। मित्रवत व्यवहार किया और दोस्ती के दरवाजे खुल गए।’
-एजेंसियां
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