काशी-मथुरा में मस्जिद का क्या काम, अब हमें सांस्कृतिक आजादी मिलनी चाहिए: स्वामी रामदेव

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बाबा रामदेव ने कहा कि “मैं भी सनातन धर्म का योद्धा एक पराकर्मी सन्यासी हूं. बाकी जगह विवाद नहीं करें लेकिन जो हमारे सबसे बड़े आराध्य हैं राम, कृष्ण और शिव उन स्थलों को छोड़ दें. अधिकतम मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर बनाई गई हैं, पर सारी मस्जिदों को हटाने के लिए नहीं बोल रहा हूं.

मुगलों के बाद भी उन्होंने बहुत मस्जिद बनाई. अगर हम सब में विवाद करने लगेंगे तो युद्ध जैसी स्थिति हो जाएगी.
तो जो मुगल कालखंड के बाद मस्जिदें बनी हैं, उनको लेकर कोई विवाद नहीं, लेकिन मुगलों के समय जो हमारे सनातन के सबसे बड़े तीर्थ है, वहां पर जो मस्जिदें बनाई गईं, मुस्लिम भाईयों को एक साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए स्वेच्छा से छोड़ देना चाहिए.

एक सवाल के जवाब में कि क्या अब आप लोग मथुरा के विवादित स्थलों को भी लेंगे, इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि उसको विवादित स्थल ही नहीं बोलना चाहिए, जैसे हम लोग अयोध्या को राम जन्म भूमि बोलते हैं. विवादित तो वो लोग बोलते हैं, जो हर जगह पचड़ा डालते हैं. ये कृष्ण जन्मभूमि का मामला है, उसमें मस्जिद का क्या काम. मैं मक्का मदीना में कहूं कि शिव मंदिर बनाऊंगा, मैं वहां पर रामजी, कृष्ण जी, हनुमान जी का मंदिर बनाऊंगा तब मैं विवाद करूंगा… तो जैसे मैं मक्का और मदीना में भी मंदिर बनाने की बात करता हूं तो ये विवाद होगा ये युद्ध होगा.  ऐसे ही हमारे काशी विश्वनाथ में और अयोध्या में इनका क्या काम. हमारे देव स्थानों को सांस्कृतिक रूप से दूषित करने का या सांस्कृतिक आतंकवाद फ़ैलाने का दुस्साहस है.

-एजेंसी


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